बुलंद दरवाजा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फतेहपुर सीकरी में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा 1601 में बनवाया गया था, जब उन्होंने फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी के रूप में चुना था। बुलंद दरवाजा एक विशाल प्रवेशद्वार है, जो मकबरे के साथ जुड़ा हुआ है और इसे अकबर की गुजरात विजय के सम्मान में बनाया गया था।
बुलंद दरवाजे की प्रमुख विशेषताएँ:
- निर्माण शैली: बुलंद दरवाजा मुग़ल और फारसी वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है। इसमें हिंदू और इस्लामिक वास्तुकला का संगम देखने को मिलता है, जो मुग़ल सम्राट अकबर के धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाता है।
- आकार और संरचना: यह दरवाजा 40 मीटर (130 फीट) ऊंचा है, जो इसे भारत के सबसे ऊंचे प्रवेशद्वारों में से एक बनाता है। इसकी चौड़ाई लगभग 50 फीट है। दरवाजा लाल और सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थर से बनाया गया है।
- लेख: दरवाजे के ऊपर एक शिलालेख है, जिसमें अकबर की गुजरात विजय का उल्लेख है। यह शिलालेख फारसी भाषा में लिखा गया है और उसमें अकबर की सैन्य सफलता का वर्णन है।
- सजावट और उत्कीर्णन: दरवाजे की दीवारों पर जटिल उत्कीर्णन, कला और कलात्मक चित्रण देखने को मिलता है। इसमें सुंदर अरबी लेखन और गहनों की सजावट भी शामिल है, जो उस समय की मुग़ल कला को प्रदर्शित करती है।
- प्राकृतिक दृश्यों का दृश्य: बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी के किले के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता था और आसपास के मैदानों और इलाकों का एक भव्य दृश्य प्रस्तुत करता है। यह दरवाजा दूर से दिखता है और एक विशाल स्मारक के रूप में उभरता है।
ऐतिहासिक महत्व:
बुलंद दरवाजा अकबर की शक्ति और विजय का प्रतीक है। यह मुग़ल साम्राज्य की स्थापत्य कला और अकबर के शासन के दौरान भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है। यह भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्भुत उदाहरण है।
फतेहपुर सीकरी और बुलंद दरवाजा आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल हैं और भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखे जाते हैं।