लुई ब्रेल का जीवन वास्तव में प्रेरणादायक है। उनका जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कुप्रे कस्बे में हुआ था। बचपन में हुई एक दुर्घटना के कारण उनकी आँखों की रोशनी चली गई, लेकिन इस दुर्घटना ने ही उनके जीवन का दिशा बदली। एक समय था जब लुई ब्रेल नेत्रहीनों के लिए एक नई लिपि बनाने का विचार करने लगे, और उन्होंने 6 बिंदुओं की एक नई लिपि विकसित की, जिसे आज हम “ब्रेल लिपि” के नाम से जानते हैं।
लुई ब्रेल ने यह लिपि 1825 में बनाई, जिसमें 6 बिंदुओं से 64 अक्षर और अन्य चिह्नों का निर्माण किया गया था, और इसमें गणितीय चिह्नों, विराम चिह्नों और संगीत के नोटेशन को भी शामिल किया गया। हालांकि, उनकी लिपि को पहले मान्यता नहीं मिली, लेकिन 16 साल बाद, 1868 में रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ ने इसे स्वीकार किया।
लुई ब्रेल का निधन 6 जनवरी 1852 को हुआ, लेकिन उनकी लिपि ने नेत्रहीनों की दुनिया को एक नई रोशनी दी। फ्रांस सरकार ने उनके योगदान की कद्र करते हुए, उनके निधन के सौ साल बाद उनका सम्मानपूर्वक दफनाया। आज ब्रेल लिपि नेत्रहीनों को शिक्षा, रोजगार, और जीवन में सफलता की नई राह दिखाती है।


