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गुस्ताखी माफ : चेन स्नैचिंग एक कला है , क्या इस कला का निखार करने छत्तीसगढ़ आते हैं कलाकार ?

चेन स्नैचिंग एक कला है , क्या इस कला का निखार करने छत्तीसगढ़ आते हैं कलाकार ?

भिलाई में फिर एक चेन खींचने की घटना हुई . भिलाई की महिलाऐं जब सोने की चेन पहनकर घर से बाहर निकलती हैं, तब सुनसान सड़कों पर अतिरिक्त सावधानी बरतती है . फिर भी चेन खींचने वाले चेन उड़ा ले जाते हैं. यहां की पुलिस हर थोड़े दिन में चेन खींचने वाले गिरोह को पकड़ लेती है, पर चेन खींचने का काम बंद नही होता है . पहले राष्ट्रीय स्तर और अब अन्तर्राष्ट्रीयस्तर पर छत्तीसगढ़ के इन शातिर चोरो की ख्याति बहुत फैल गयी है. पुलिस ने अब अपनी इस पर असफलता दूर करने के लिए एक नया प्रयोग करने का मन बना लिया है . पत्रकार माधो ने मुझे बताया कि ‘चैन खीचना’ सिखाने के पहले इन्स्टीट्‌यूट की अनुशंसा सरकार कर सकती है . छत्तीसगढ़ में चेन खींचने वालों के नैचुरल टैलेंट से प्रभावित होकर “चार्ल्स शोभराज फर्जीवाड़ा कार्पोरेशन ” ने छत्तीसगढ़ में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का चैन खींचने का संस्थान खोलने का मन बना लिया है. प्रारंभिक तौर पर इस संस्थान में यही कोर्स रहेगा. फिर धीरे-धीरे इसमें ठगगिरी ,चापलूसी , घूस लेन-देन के तरीके ,पैसा ठिकाने लगाने के तरीके, पैसा खाकर काम नही करने के तरीके इत्यादि कोर्स भी शुरू करवाये जायेंगें. इस ट्रेनिंग इन्स्टीट्‌यूट को शुरू करने के लिए शोभराज कार्पोरशन के कुछ आदमी छ.ग. के कुछ आला अधिकारियों एवं पुलिस वालों ने के सतत संपर्क में हैं . उनके प्रवक्ता ने बताया कि यहां के कुछ शातिर चोरों से एग्रीमेंट होते ही शिक्षा चालू की जा सकेगी . चेन खींचने की ट्रेनिंग के साथ प्रारंभिक दौर में मोटर-सायकल चुराना, शिकार तलाशना, पुलिस से सेटिंग करना और चैन को ठिकाने लगाना सिखाया जायगा. जब हमने उनसे पूछा कि इससे छत्तीसगढ़ में ऐसी घटनाएं बहुत बढ़ जाएगी, तो उन्होंने कहा, सरकार को दिये गए ड्राफ्ट एग्रीमेंट में हमने इन बातों का विशेष ध्यान रखा है . इसके अनुसार एक शपथ-पत्र को हर स्टूडेंट भरकर देगा. इस शपथ-पत्र की शर्तो के अनुसार वह छत्तीसगढ़ में कोई गलत घटना नही करेगा. राज्य से बाहर अपने कमाई का 5 प्रतिशत छत्तीसगढ़ सरकार , 4 प्रतिशत छत्तीसगढ़ पुलिस व अन्य खर्च के लिए सरकारी ख़ज़ाने को और 3 प्रतिशत इन्स्टीट्‌यूट को तमाम उम्र देगा. जब हमने पूछा – मीडिया इसका भारी विरोध करेगी तो उन्होंने कहा कि यहां का मीडिया बिना सच्चाई जाने अपने पत्रकारों के बारे में भी उल्टा-सीधा लिख सकता है और कई बड़े कांडों में लिप्त बड़े लोगों के नाम लिखे बिना समाचार छाप सकता है, तो उनका साथ पाना कठिन नही है . हम उन्हें विज्ञापन दिलवाकर या दूसरी तरह से उन्हें सेट कर लेंगें , उसका प्रावधान भी हम बजट में रखेंगे . छत्तीसगढ़ के एक उच्च कोटि के लायसनिंग एजेंट ने मोटी रकम लेकर हमारा यह काम कराने की सहमति दे दी है . यह सब सुनकर मैंने हंसते हुए पत्रकार माधो से पूछा कि इतनी अधिक तल्खी के साथ यह करारा व्यंग ज़रूरी था क्या ? वे भी हँसते हुए बोले , दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है .
मज़ाक अपनी जगह थी पर हम दोनों एक बात समझ रहे थे कि यदि इन घटनाओं पर अंकुश लगाना है तो पुलिस व प्रशासन को आक्रामकता के साथ नई सोच , नया आइडिया लाना ही होगा .

इंजी. मधुर चितलांग्या, संपादक, दैनिक पूरब टाइम्स

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