Total Users- 1,026,856

spot_img

Total Users- 1,026,856

Monday, June 23, 2025
spot_img

हिंदी का पहला समाचार पत्र कब प्रकाशित हुआ

हिंदी का पहला समाचार पत्र “उदन्त मार्तण्ड” था, जिसे 30 मई 1826 को प्रकाशित किया गया था। इसे हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। “उदन्त मार्तण्ड” का प्रकाशन और संपादन पंडित जुगल किशोर शुक्ला द्वारा किया गया था, जो कानपुर, उत्तर प्रदेश के निवासी थे। यह अखबार हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र था और इसका उद्देश्य हिंदी भाषी जनता को समाचार और जानकारी प्रदान करना था।

“उदन्त मार्तण्ड” की पृष्ठभूमि:

1. आरंभिक परिप्रेक्ष्य:

  • 19वीं सदी के आरंभिक वर्षों में भारत में कई भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे थे। विशेषकर अंग्रेजी, फारसी, और बांग्ला भाषाओं में अखबारों का प्रचलन अधिक था। लेकिन हिंदी में कोई समाचार पत्र नहीं था, जबकि हिंदी भारत के बड़े हिस्से में बोली जाने वाली भाषा थी।
  • इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने हिंदी समाचार पत्र “उदन्त मार्तण्ड” का प्रकाशन शुरू किया। उन्होंने समझा कि हिंदी भाषी जनता को समाचार और जानकारी प्रदान करने का माध्यम होना चाहिए।

2. समाचार पत्र का नाम और अर्थ:

  • “उदन्त मार्तण्ड” का शाब्दिक अर्थ है “समाचारों का उगता हुआ सूरज”। यह नाम हिंदी भाषी जनता के बीच पत्रकारिता के नए युग की शुरुआत का प्रतीक था।
  • समाचार पत्र का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषी लोगों तक खबरें पहुँचाना था, जिन्हें अंग्रेजी या अन्य भाषाओं के समाचार पत्रों को पढ़ने में कठिनाई होती थी।

3. प्रकाशन स्थल और प्रारंभिक चुनौतियाँ:

  • “उदन्त मार्तण्ड” का प्रकाशन कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से हुआ था। उस समय कलकत्ता अंग्रेजों की सत्ता का केंद्र था और पत्रकारिता के कई केंद्र वहीं थे।
  • यह समाचार पत्र साप्ताहिक (सप्ताह में एक बार) प्रकाशित होता था। हालाँकि इसे हिंदी भाषी जनता के लिए प्रकाशित किया गया था, लेकिन इसका मुख्य लक्ष्य उत्तर भारत के हिंदी भाषी लोग थे, जो कलकत्ता से दूर रहते थे। यह अखबार डाक के माध्यम से भेजा जाता था, जो उस समय महंगा और कठिन था।
  • आर्थिक कठिनाइयों और सीमित संसाधनों के कारण “उदन्त मार्तण्ड” लंबे समय तक नहीं चल पाया। इसे करीब एक साल के बाद, 4 दिसंबर 1827 को बंद करना पड़ा।

4. प्रकाशन बंद होने के कारण:

  • “उदन्त मार्तण्ड” की सबसे बड़ी समस्या आर्थिक थी। उस समय समाचार पत्र को प्रकाशित करने के लिए आवश्यक संसाधन और पाठकों से मिलने वाला समर्थन पर्याप्त नहीं था।
  • इसके अलावा, डाक के माध्यम से अखबार पहुँचाने में आने वाली समस्याओं के कारण अखबार अपने लक्षित पाठकों तक सही समय पर नहीं पहुँच पाता था। इस वजह से इसके पाठकों की संख्या कम हो गई।
  • सरकारी सहयोग और विज्ञापनों की कमी भी अखबार के बंद होने का एक कारण थी।

पंडित जुगल किशोर शुक्ला का योगदान:

पंडित जुगल किशोर शुक्ला न केवल हिंदी पत्रकारिता के अग्रदूत थे, बल्कि उन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी यह कोशिश थी कि हिंदी भाषी जनता को उनकी अपनी भाषा में समाचार मिल सके और समाज में जागरूकता फैलाई जा सके। “उदन्त मार्तण्ड” भले ही आर्थिक चुनौतियों के कारण बंद हो गया, लेकिन यह हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में एक प्रेरणादायक शुरुआत थी।

“उदन्त मार्तण्ड” के बाद हिंदी पत्रकारिता:

“उदन्त मार्तण्ड” के बंद होने के बाद भी हिंदी पत्रकारिता की जड़ें मजबूत होती रहीं। धीरे-धीरे, अन्य हिंदी समाचार पत्रों का भी प्रकाशन शुरू हुआ।

  • 1854 में “समाचार सुधावर्षण” का प्रकाशन हुआ, जो हिंदी का दूसरा प्रमुख समाचार पत्र था।
  • इसके बाद 1900 के दशक में हिंदी पत्रकारिता ने और भी तेजी से विकास किया, जब हिंदी भाषा में कई अन्य समाचार पत्र और पत्रिकाएँ प्रकाशित होने लगीं।

निष्कर्ष:

“उदन्त मार्तण्ड” का हिंदी पत्रकारिता में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र था, जिसने हिंदी भाषी जनता के बीच समाचारों और सूचनाओं का प्रसार किया। पंडित जुगल किशोर शुक्ला की इस पहल ने हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी, और आगे चलकर हिंदी में प्रकाशित होने वाले अन्य समाचार पत्रों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

spot_img

More Topics

बाजार के अदरक-लहसुन के नकली पेस्ट से हो सकता है पेट को खतरा

अदरक-लहसुन का पेस्ट कई वैश्विक व्यंजनों में एक मुख्य...

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दो दिवसीय भव्य योग महोत्सव का समापन

पूरब टाइम्स रायपुर।11 वे अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय...

इसे भी पढ़े