शरद पूर्णिमा को विशेष रूप से अमृत बरसने वाली रात माना जाता है, और इसका धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व बहुत अधिक है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं में पूर्ण होता है और ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो शरीर और मन दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी होती है।
चंद्रमा से बरसता अमृत और खीर का महत्व:
- अमृत वर्षा: शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में अमृत का संचार होता है। ऐसी मान्यता है कि इस रात आसमान से विशेष ऊर्जा निकलती है, जो वातावरण को सकारात्मक बनाती है।
- खीर बनाना: शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने का विशेष महत्व है। लोग दूध, चावल और चीनी से बनी खीर को रातभर खुले आसमान के नीचे रखते हैं ताकि चंद्रमा की किरणें खीर पर पड़ें। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत तत्व समाहित हो जाता है, जो इसे औषधीय गुण प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से प्रभावित खीर कई रोगों के उपचार में सहायक मानी जाती है। यह विशेष रूप से पित्त दोष को शांत करती है, पाचन को बेहतर बनाती है और मानसिक तनाव को कम करती है। इसके नियमित सेवन से शरीर को शीतलता और शांति मिलती है।
- रोगों के लिए रामबाण: खीर को इस दिन सेवन करने से अस्थमा, पेट के रोग, एसिडिटी और माइग्रेन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यह शरीर के सभी दोषों को संतुलित करने में मदद करती है।
धार्मिक महत्व:
शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागते हुए भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इसलिए इसे “कोजागरी पूर्णिमा” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है।” जो लोग इस रात जागते हैं, वे धन-समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त करते हैं।
इस दिन चंद्रमा का न केवल वैज्ञानिक महत्व है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसे बेहद पवित्र और फलदायी माना जाता है।