खरमास (या खर्मास) हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष अवधि है, जो हर साल दिसंबर से जनवरी तक होती है। इस समय को विशेष रूप से शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है। खरमास का समय जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब शुरू होता है और यह लगभग 1 माह तक चलता है। इसे “किसी भी प्रकार के शुभ कार्य न करने का समय” माना जाता है।
खरमास की विशेषताएँ:
- शुभ कार्यों की रोकथाम: इस समय में विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ, मुंडन आदि शुभ कार्यों को न करने की परंपरा है। इसे असाधारण समय माना जाता है जिसमें ग्रहों की स्थिति कुछ अलग होती है।
- धार्मिक दृष्टिकोण: खरमास का संबंध पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इसे असुरों और देवताओं के बीच संघर्ष से जोड़ा जाता है, जिसमें शुभ कार्यों को रोकने के लिए यह समय निर्धारित किया गया।
- प्राकृतिक कारण: इस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो एक राशि परिवर्तन होता है। इसे मौसम का बदलाव भी माना जाता है, और इस दौरान दिन छोटे होते हैं और रात लंबी होती हैं, जो कि पारंपरिक नजरिए से शुभ नहीं मानी जातीं।
- व्रत और पूजा: खरमास के दौरान भक्त व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उनका जीवन आगे के समय में शुभ हो। इस दौरान विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का महत्व होता है।
- समाप्ति: खरमास का अंत मकर संक्रांति के दिन होता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
इस दौरान लोग दान, धर्म, और अन्य अच्छे कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि शुभता बनी रहे।