टीपू सुल्तान, जिन्हें “टाइगर ऑफ मैसूर” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय शासक थे जिन्होंने मैसूर राज्य का नेतृत्व किया। उनका जन्म 20 नवंबर 1751 को मैसूर में हुआ था। वे राजा हैदर अली के पुत्र थे और 1782 में उनके पिता की मृत्यु के बाद मैसूर के राजा बने। टीपू सुल्तान ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके सहयोगियों से मैसूर राज्य की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष किया और अंग्रेजों के खिलाफ कई युद्धों में भाग लिया।
टीपू सुल्तान के प्रमुख योगदान:
- ब्रिटिश विरोधी संघर्ष: टीपू ने ब्रिटिशों के खिलाफ चार प्रमुख युद्धों (पहला, दूसरा, तीसरा और चौथा आंग्ल-मसूरी युद्ध) में भाग लिया, खासकर तीसरे और चौथे युद्ध में वे सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।
- प्रौद्योगिकी और युद्ध उपकरण: टीपू सुल्तान को सैन्य दृष्टिकोण से भी अग्रणी माना जाता है। उन्होंने अपने राज्य में नए हथियारों, रॉकेटों और युद्ध उपकरणों का विकास किया, जिनका उपयोग ब्रिटिशों के खिलाफ उनके अभियानों में किया गया था।
- साम्राज्य का विस्तार: उन्होंने मैसूर राज्य का विस्तार किया और विभिन्न क्षेत्रीय शक्तियों को चुनौती दी। उनकी सामरिक नीतियों में नवीनता और प्रयोग की झलक थी।
- धार्मिक सहिष्णुता: टीपू सुल्तान ने धार्मिक सहिष्णुता का आदान-प्रदान किया और हिंदू मंदिरों को पुनर्निर्माण और संरक्षण में मदद की। हालांकि, उनके कुछ निर्णय विवादास्पद रहे, खासकर उनके सुलतान बनने के बाद कुछ धार्मिक उत्पीड़न की घटनाएं हुईं।
- मृत्यु और विरासत: टीपू सुल्तान की मृत्यु 4 मई 1799 को हुआ, जब अंग्रेजों के खिलाफ उनका संघर्ष समाप्त हुआ। उनकी मृत्यु के साथ ही मैसूर का पतन हुआ, लेकिन उनका नाम आज भी भारतीय इतिहास में एक नायक के रूप में जीवित है, खासकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उनकी लड़ाई के कारण।
टीपू सुल्तान एक वीर योद्धा और कूटनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपने समय में अंग्रेजों के साम्राज्यवादी दृष्टिकोण के खिलाफ जंग लड़ी और भारतीय इतिहास में अपनी विशेष जगह बनाई।