समुद्र मंथन हिंदू धर्म के पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध घटना है, जो देवताओं और असुरों के बीच शक्ति और अमृत (अमरता प्रदान करने वाला अमृत) प्राप्त करने के लिए हुई थी। इसके मुख्य कारण इस प्रकार थे:
1. अमृत की प्राप्ति:
देवताओं ने असुरों के बढ़ते बल और शक्ति के कारण स्वयं को कमजोर महसूस किया। उन्हें यह ज्ञात था कि समुद्र मंथन से अमृत प्रकट होगा, जिसे पीकर वे अमर हो सकते हैं और अपनी शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
2. श्री हरि विष्णु की योजना:
समुद्र मंथन देवताओं और असुरों के बीच संतुलन बनाए रखने और सृष्टि में धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु की योजना का हिस्सा था।
3. समुद्र में छिपे हुए रत्न:
सृष्टि के आरंभ में समुद्र में कई दिव्य रत्न छिपे हुए थे। इन रत्नों को प्राप्त करने के लिए भी मंथन किया गया।
4. दुर्वासा ऋषि का शाप:
पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि दुर्वासा ने इंद्र को शाप दिया था, जिसके परिणामस्वरूप देवता अपनी शक्ति और वैभव खो बैठे। इसे पुनः प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन का आयोजन हुआ।
प्रमुख घटनाएं:
- मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया।
- मंथन के दौरान 14 अमूल्य रत्न (जैसे कामधेनु, कल्पवृक्ष, लक्ष्मी, चंद्रमा, हलाहल विष आदि) निकले।
- भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को असुरों से बचाकर देवताओं को प्रदान किया।
यह घटना संघर्ष और सहयोग के महत्व को दर्शाती है, जहां देवता और असुर एक साथ प्रयास करते हैं, लेकिन अंतिम लाभ धर्म और अच्छाई की विजय के रूप में मिलता है।