राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर किले के भीतर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर कई मायनों में अनूठा है। यहां गणेश जी की पहली त्रिनेत्री मूर्ति विराजमान है। यह मूर्ति स्वयंभू है। मंदिर में गणेश जी अपने पूरे परिवार, दो पत्नियों – रिद्धि और सिद्धि और दो बेटों – शुभ और लाभ के साथ विराजमान हैं। मंदिर (रणथंभौर गणेश मंदिर) की सबसे बड़ी खासियत यहां आने वाली चिट्ठियां हैं। देशभर से भक्त अपने घर में होने वाले हर शुभ काम का पहला निमंत्रण भगवान गणेश के लिए यहां भेजते हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यहां का पिन कोड (रणथंभौर गणेश मंदिर पिन कोड) 322021 है। त्रिनेत्र गणेश का जिक्र रामायण काल और द्वापर युग में भी मिलता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले गणेश जी के इसी स्वरूप का अभिषेक किया था।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर सवाई माधोपुर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर रणथंभौर किले के अंदर बना हुआ है, जो एक विश्व धरोहर स्थल है। यहां पहुंचने के लिए रेल सेवा सबसे अच्छा तरीका है। आप यहां बस से भी जा सकते हैं। हवाई सेवा से यहां पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले जयपुर जाना होगा। इसके बाद आपको बस से सवाई माधोपुर जाना होगा। यहां से मंदिर जाने के लिए हर समय वाहन उपलब्ध रहते हैं। इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी कई ऐतिहासिक और धार्मिक कहानियां भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा हमीर देव चौहान ने करवाया था।
दरअसल, रणथंभौर में महाराजा हमीरदेव और अलाउद्दीन खिलजी के बीच 1299-1301 के बीच युद्ध हुआ था, उस समय दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने इस किले को चारों तरफ से घेर लिया था। समस्या खत्म नहीं हो रही थी, ऐसे में भगवान गणेश ने महाराज को सपने में कहा कि मेरी पूजा करो, सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। अगले ही दिन किले की दीवार पर त्रिनेत्र गणेश की मूर्ति अंकित हो गई और उसके बाद हमीरदेव ने भगवान गणेश के बताए स्थान पर मंदिर बनवाया। इसके बाद कई सालों से चला आ रहा युद्ध भी खत्म हो गया।