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Saturday, June 14, 2025
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चारागाह, तालाब और स्कूल की ज़मीन मेडिकल कॉलेज को देने पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा — प्रशासन पर मनमानी का आरोप

दुर्ग (छत्तीसगढ़): कचांदूर क्षेत्र के ग्रामीणों ने गांव की चारागाह, तालाब, स्कूल और खेती योग्य भूमि को “चंदूलाल चंद्राकर स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय” को आवंटित किए जाने का कड़ा विरोध किया है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण दुर्ग तहसील कार्यालय पहुंचे और अपनी लिखित आपत्तियां दर्ज कराईं।

ग्रामीणों की मुख्य आपत्तियां

  • ग्राम सभा की सहमति के बिना भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई।
  • भूमि अधिग्रहण का इश्तेहार बिना सूचना और चर्चा के प्रकाशित कर दिया गया।
  • जिस ज़मीन पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण प्रस्तावित है, उसमें:
    • तालाब है, जहां बरसात का पानी एकत्र होकर जलस्तर बनाए रखता है
    • किसान इसी पानी से सिंचाई करते हैं
    • चारागाह की ज़मीन पर गौठान भी बना है।
    • पहले से स्कूल (माध्यमिक शाला) का निर्माण हो चुका है।

📌 जिन खसरा नंबर की ज़मीनों पर आपत्ति

ग्रामीणों ने जिन ज़मीनों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है, उनमें शामिल हैं:

  • खसरा नंबर 767 – रकबा 2.440 हेक्टेयर
  • खसरा नंबर 776 – रकबा 1.660 हेक्टेयर
  • खसरा नंबर 1003 – रकबा 4.630 हेक्टेयर
  • खसरा नंबर 1062 – रकबा 3.400 हेक्टेयर
  • खसरा नंबर 1065 – रकबा 7.780 हेक्टेयर

👉 इन सभी को मिलाकर करीब 50 एकड़ भूमि है, जिसे मेडिकल कॉलेज को आवंटित किया गया है।


🏥 क्या है प्रस्ताव?

  • चिकित्सा महाविद्यालय के लिए डॉक्टरों और स्टाफ के लिए आवासीय परिसर और छात्रों के लिए हॉस्टल भी प्रस्तावित हैं।
  • यहां नहर लाइनिंग, मनरेगा सड़क, और अन्य ग्रामीण विकास योजनाएं पहले से ही चल रही हैं।

🌿 पर्यावरण और आजीविका पर असर

  • सांसद विजय बघेल ने इसी भूमि पर पौधरोपण किया था।
  • ग्रामीणों का कहना है कि इस भूमि से गांव की कृषि व्यवस्था, जल संरक्षण, मवेशियों के चारा, और निस्तारी सुविधा जुड़ी हुई है।
  • भूमि अधिग्रहण से ग्रामीणों की आजीविका चरमरा जाएगी

🧾 मांगें

  • भूमि आवंटन रद्द किया जाए
  • प्रशासन ग्राम पंचायत से पुनः सहमति ले
  • मेडिकल कॉलेज के लिए वैकल्पिक भूमि की व्यवस्था की जाए।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी आपत्तियों को अनसुना किया, तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

👉 यह मामला ग्रामीण विकास, प्रशासनिक पारदर्शिता और पर्यावरणीय संतुलन जैसे कई अहम सवाल खड़े करता है।

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