छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण में कटौती और चुनावी मुद्दों पर सियासी विवाद गरमा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण और चुनावी अवधि बढ़ाने के फैसलों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार की नीति अस्पष्ट है और संविधान संशोधन का गलत हवाला देकर चुनावी प्रक्रिया को असंवैधानिक रूप से बढ़ाया गया है।
मुख्य आरोप और सवाल:
- राज्यपाल की भूमिका: बघेल ने सवाल उठाया कि विधानसभा में प्रस्तुत बिल पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर क्यों नहीं किए।
- चुनावी अवधि का बढ़ाव: संविधान के 73वें और 74वें संशोधन का हवाला देते हुए उन्होंने चुनावी अवधि बढ़ाने को असंवैधानिक बताया।
- ओबीसी आरक्षण में गिरावट: उन्होंने कहा कि वर्तमान में बस्तर और सरगुजा जिलों में ओबीसी के लिए कोई वार्ड आरक्षित नहीं है।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या:
बघेल ने पत्रकार की हत्या और सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मुकेश के परिवार को उचित सहायता और न्याय नहीं मिला।
राहुल गांधी के बयान का समर्थन:
बघेल ने राहुल गांधी की आलोचना को सही ठहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और अरविंद केजरीवाल की नीतियां समान हैं, और अल्पसंख्यकों के अधिकार व आरक्षण जैसे मुद्दों पर उनकी नीतियों में एकरूपता है।
इस विवाद ने राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों को और उग्र बना दिया है, जहां आरक्षण और चुनावी प्रक्रिया को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
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