छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में सामने आए घोटाले ने हजारों युवाओं के सपनों को गहरा झटका दिया है। भर्ती में गड़बड़ी और एक कांस्टेबल की आत्महत्या के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
मुख्य घटनाक्रम:
- भर्ती प्रक्रिया पर रोक: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर डेप्युटी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने प्रक्रिया रद्द की।
- SIT का गठन: दुर्ग आईजी दीपक कुमार झा के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई गई है, जो 10 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी।
- गलत एंट्री और गिरफ्तारियां: भर्ती में करीब 3,000 कैंडिडेट्स के अंकों की गलत एंट्री हुई। अब तक 7 लोग, जिनमें 4 कांस्टेबल शामिल हैं, गिरफ्तार किए गए हैं।
- भर्ती की पृष्ठभूमि: यह भर्ती प्रक्रिया 16 नवंबर, 2024 से 528 पदों के लिए शुरू हुई थी, लेकिन फिजिकल टेस्ट के दौरान गड़बड़ियां उजागर हुईं।
विपक्ष का हमला:
- कांग्रेस ने मामले की CBI जांच की मांग की है।
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने गृह मंत्री से इस्तीफा देने और आत्महत्या के मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
- कांग्रेस ने दोषी ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की अपील की है।
आरोप और सवाल:
गृह मंत्री विजय शर्मा पर निशाना साधते हुए विपक्ष ने कहा कि जब आरोपी खुद जांच कर रहे हैं, तो निष्पक्षता कैसे संभव होगी? पुलिस विभाग में यह घोटाला सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है।
इस मामले ने छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।