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Saturday, July 12, 2025
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महिलाओं को स्वावलंबन के लिए रोजगार मूलक प्रशिक्षण नई दिशा देगा – पवन बडज़ात्या

पूरब टाइम्स दुर्ग। स्वावलंबी भारत अभियान के तहत् स्व.नौबतराम गोयल (इन्डियन इस्पात ग्रुप रायपुर) की स्मृति दुर्ग जिले के उरला में शांति नगर ,यादव भवन में महिलाओं को नहाने के साबुन, फिनायल, डिश वाश(बर्तन धोने की लिक्विड शोप), शैम्पू, फ्लोर क्लीनर , हैंड वाश, हार्पिक (टॉयलेट क्लीनर), कपड़ा धोने का साबुन, का 4 दिवसीय प्रशिक्षण में छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के दुर्ग चेयरमैन पवन बडज़ात्या, प्रसिद्ध युवा उद्यमी शरद बाफना,एवं महिला इंटरप्रेनर सुश्री हेमा देवांगन ने पहूँचकर उपस्थित महिलाओं का हौसला बढ़ाया।
इसी कड़ी में पवन बडज़ात्या ने कहा की जो भी आप प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है उसके उत्पादों की गुणवत्ता का ध्यान रखे ताकि आपको एक बार ऑर्डर मिलने के बाद पुन: आर्डर मिले इसी कड़ी में पवन बडज़ात्या ने उपस्थित महिलाओं को कहा की आप सामान बनाये इसके लिए हम आपके तथा व्यापारियों के बीच एक सेतु का काम करेंगे
इसी तारतम्य में स्वावलंबी भारत अभियान के प्रांत सह समन्वयक संजय चौबे ने बताया सम्पूर्ण प्रदेश में इस प्रकार के प्रशिक्षण को शुरू करने के लिए रायपुर के इंडियन इस्पात ग्रुप के डायरेक्टर विजय गोयल जो कि प्रसिद्ध उद्यमी एवं प्रसिद्ध आर्थिक तथा उद्यम चिंतक जिन्होंने अपने पत्रों तथा सुझावों के माध्यम से कई सरकारी पॉलिसी को इंप्लीमेंट करवाया है सबसे पहले श्री गोयल ने स्वप्रेरणा से अपने पिता की स्मृति में शिविर का आयोजन करवाया इससे प्रेरित होकर अन्य उधोगपति जन अपने परिजनों की स्मृति में शुरू करने के लिए लगातार संपर्क कर रहे है, इसके लिए बड़ी रूप रेखा बनाई जा रही है शहर से दुर के ग्रामो में इस प्रकार के शिविर पर ज्यादा फोकस कर उन्हें स्वावलंबन के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इसी तारतम्य में स्वावलंबी भारत अभियान के प्रांत सह समन्वयक एवं लघु उद्योग भारती दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष संजय चौबे ने बताया कि चार दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार के रोजाना इस्तेमाल में किए जाने वाले उत्पादों का प्रशिक्षण दिया गया, महिलाएं घर पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर इन उत्पादों का निर्माण कर अच्छी आमदनी घर बैठे ही कर सकते हैं। कूल मिला कर स्वावलंबी भारत अभियान के द्वारा चलाये जा रहे इस ट्रैनिंग कार्यक्रम से ट्रैनिंग प्राप्त कर उरला के शांतिनगर की महिलाएं कम पूंजी में ही अपनी आर्थिक स्थित सुधार सकती हैं।

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