प्रकृति अपने भीतर कई रहस्य समेटे हुए है, और उनमें से कुछ फूल ऐसे हैं, जिनका आध्यात्मिक और तांत्रिक महत्व अपार है। विष्णुकांता और बांस के फूल न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि इन्हें विशेष तांत्रिक उपायों में उपयोग किया जाता है।
विष्णुकांता: इच्छापूर्ति का दिव्य फूल
विष्णुकांता, जिसे योनि पुष्प, अपराजिता या शंकरपुष्पी भी कहा जाता है, अपने चमत्कारी गुणों के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस फूल को घर में लगाने से सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
🔹 भगवान शिव की विशेष पूजा में उपयोग – बसंत ऋतु में इस फूल को भगवान शिव को अर्पित करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
🔹 संतान प्राप्ति एवं विवाह योग – यदि कोई संतान सुख से वंचित है या मनचाहा विवाह करना चाहता है, तो 108 विष्णुकांता के फूलों की माला बनाकर “ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं” मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बांस के फूल: 50 साल में एक बार खिलने वाला रहस्यमयी फूल
बांस के फूल प्रकृति का एक अनोखा चमत्कार हैं, जो 50-60 वर्षों में केवल एक बार खिलते हैं। अधिकांश लोग अपने जीवनकाल में इन्हें नहीं देख पाते।
🔹 तांत्रिक और सिद्ध साधनाओं में महत्व – इन फूलों को “श्री ह्रीं क्लीं पुत्रदायिनी कामेश्वरी” के रूप में जाना जाता है।
🔹 बांझपन दूर करने की मान्यता – कहा जाता है कि यदि 21,000 बार इस मंत्र का जाप कर 7 दिन तक बांस के फूल से अभिमंत्रित करके गर्भ बांध दिया जाए, तो एक वर्ष के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
असम में बांस के फूलों से खतरा!
असम के जंगलों में जब बांस के फूल खिलते हैं, तो सरकार इन्हें तुरंत कटवा देती है। इसका कारण यह है कि इन फूलों के खिलने से चूहों की प्रजनन क्षमता अचानक बढ़ जाती है, जिससे वे फसलों पर हमला कर देते हैं। कुछ साल पहले इसी वजह से असम सरकार ने लाखों फूलदार बांस के पेड़ कटवा दिए थे ताकि कृषि को बचाया जा सके।
निष्कर्ष
विष्णुकांता और बांस के फूल केवल सुंदरता ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और दुर्लभ शक्तियों के लिए भी जाने जाते हैं। इनका सही उपयोग तांत्रिक विधियों और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाए, तो ये सुख, संतान और समृद्धि का वरदान ला सकते हैं।
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