षटतिला एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व है, विशेष रूप से कलियुग में। इस व्रत को करने से व्यक्ति गंभीर पापों से मुक्ति पाकर ईश्वर की शरण में पहुंचता है। जैसा कि आपने बताया, आज 25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी का दिन है, और यह व्रत नरक की यातनाओं से बचने तथा जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
षटतिला एकादशी व्रत कथा का श्रवण व्रत की पूर्णता के लिए आवश्यक है। कथा से हमें यह सीख मिलती है कि केवल उपवास करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि अन्नदान और परोपकार भी उतने ही आवश्यक हैं। भगवान विष्णु ने स्वयं ब्राह्मणी को यह शिक्षा दी कि दान की महत्ता से जीवन धन्य हो सकता है।
आगे पढ़ेषटतिला एकादशी के लाभ
- इस व्रत को करने वाले को पापों से मुक्ति मिलती है।
- जन्म-जन्मांतर की बीमारियां समाप्त हो जाती हैं।
- व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मृत्यु के बाद आत्मा को कोई पीड़ा नहीं सहनी पड़ती।
इस व्रत में भगवान विष्णु का पूजन करने के साथ-साथ तिल का विशेष उपयोग होता है, जैसे तिल से स्नान, तिल का दान, तिल का सेवन, तिल का दीपक जलाना आदि। यह व्रत करने वाले को पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
षटतिला एकादशी का पालन करने के नियम
- व्रत के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और उनका ध्यान करें।
- षटतिला एकादशी की कथा का श्रवण करें।
- तिल से स्नान, तिल का दान, और तिल का प्रयोग भोजन में करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अन्नदान करें।
यह व्रत साधकों को केवल भौतिक सुख ही नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करता है।
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