भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने इसके जहरीले कचरे को नष्ट करने का निर्णय लिया है, और यह कचरा धार के पीथमपुरा में जलाया जाएगा। हालांकि, इस फैसले का विरोध काफी बढ़ गया है, क्योंकि स्थानीय लोग इस प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। इस विरोध के चलते प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है, और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मुद्दे को राजनीतिकरण से बचने की सलाह दी है और कहा कि कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी है, जबकि 40 प्रतिशत नेफ्टॉल है, जिसका इस्तेमाल कीटनाशक बनाने में होता है, और यह उतना हानिकारक नहीं है। इसके अलावा, वैज्ञानिकों का कहना है कि इस कचरे में मौजूद जहरीले तत्व 25 साल तक सक्रिय रहते हैं, लेकिन अब 40 साल बाद यह कचरा हानिकारक नहीं माना जाता।
इस कचरे को सीलबंद कंटेनरों में सुरक्षित रूप से धार लाया गया है, और उसे पीथमपुरा के इंडस्ट्रियल एरिया में सुरक्षित रखकर नष्ट किया जाएगा। इस क्षेत्र में सुरक्षा कारणों से भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।