गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement – NAM) की स्थापना का इतिहास और महत्व निम्नलिखित है:
पृष्ठभूमि
- शीत युद्ध का प्रभाव:
- 1947 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, दुनिया दो प्रमुख गुटों में विभाजित हो गई: एक गुट का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था (पश्चिमी देशों का समूह) और दूसरे का सोवियत संघ (कम्युनिस्ट देशों का समूह) कर रहा था।
- इस बंटवारे ने कई नए स्वतंत्र देशों को चिंतित किया, जिन्होंने न तो अमेरिका के गुट में शामिल होने का निर्णय लिया और न ही सोवियत संघ के गुट में।
- उदाहरण और प्रेरणा:
- कई देशों ने स्वतंत्रता प्राप्त की और साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ खड़े होने का प्रयास किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन और एशिया के अन्य देशों की स्वतंत्रता ने इन देशों को एकजुट करने का विचार प्रस्तुत किया।
स्थापना
- बंडुंग सम्मेलन (1955):
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव बंडुंग सम्मेलन में रखी गई, जो 1955 में इंडोनेशिया के बंडुंग शहर में आयोजित किया गया था।
- इस सम्मेलन में 29 देशों ने भाग लिया, जिनमें भारत, मिस्र, युगोस्लाविया, इंडोनेशिया और गाम्बिया शामिल थे। इस सम्मेलन ने गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों को स्पष्ट किया।
- गुटनिरपेक्षता का औपचारिक स्थापना (1961):
- 1961 में, गुटनिरपेक्ष आंदोलन का औपचारिक रूप से गठन हुआ। इसका पहला सम्मेलन 1961 में बेलग्रेड, युगोस्लाविया में आयोजित किया गया।
- इस सम्मेलन में 25 देशों ने भाग लिया, और इसमें गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों और उद्देश्यों पर चर्चा की गई।
मुख्य नेता
- जवाहरलाल नेहरू (भारत)
- जोसेफ टीटो (युगोस्लाविया)
- गमाल अब्देल नासिर (मिस्र)
- सूकरनो (इंडोनेशिया)
उद्देश्य
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- तटस्थता की नीति: आंदोलन ने अपने सदस्य देशों को शीत युद्ध में किसी एक गुट में शामिल होने से बचने की सलाह दी।
- आर्थिक और सामाजिक विकास: विकासशील देशों के बीच आर्थिक सहयोग और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना।
- साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़ा होना: उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ एकजुट होना।
- शांति और सुरक्षा: विश्व में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास करना।
प्रमुख सम्मेलन
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के कई महत्वपूर्ण सम्मेलन आयोजित किए गए हैं:
- बेलग्रेड सम्मेलन (1961): पहला औपचारिक सम्मेलन, जिसमें आंदोलन के उद्देश्यों को स्थापित किया गया।
- लिमासोल सम्मेलन (1989): इस सम्मेलन में वैश्विक शांति और सुरक्षा पर चर्चा की गई।
- काराकास सम्मेलन (2006): इस सम्मेलन में सदस्यों ने विश्व राजनीति में गुटनिरपेक्षता की भूमिका पर चर्चा की।
वर्तमान स्थिति
- आज गुटनिरपेक्ष आंदोलन में 120 सदस्य देश हैं। यह विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो उन्हें वैश्विक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने का अवसर प्रदान करता है।
- आंदोलन का प्रभाव आज भी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जब वैश्विक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और विकासशील देशों के अधिकारों की बात आती है।
निष्कर्ष
गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका उद्देश्य न केवल विकासशील देशों की आवाज को प्रमुखता देना है, बल्कि विश्व में शांति और समृद्धि को भी बढ़ावा देना है। गुटनिरपेक्षता का विचार आज भी प्रासंगिक है, और यह देशों के बीच सहयोग और एकता का प्रतीक है।