कल टीवी पर रेप पर दिए गए बयानों की समीक्षा एक पैनल कर रहा था । उसमे बैठे पुरुष, उन लोगों को कठघरे में खड़े कर रहे थे, जिन्होंने बेधड़क होकर पुरुषों की कमजोरी, पुरुषों की गलती , महिलाओं के अमर्यादित रहन-सहन इत्यादि से सम्बंधित बयान दिए थे । परन्तु महिलायें इतनी आक्रामक हो रही थीं कि बेबाक सही बयानबाज़ी करने वाले पुरुषों को भी खुद बलात्कारी कैटेगरी में या बलात्कारियों के मसीहा की कैटेगरी में डाल रही थीं ।
सुबह सैर के वक़्त यही टॉपिक फिर निकल आया तो एक परिचित के चुनौतीपूर्ण कथन ने हम मर्दों के होश उड़ा दिए । हममें से कोई भी टाऐं- टूँई नहीं कर पाया । उन्होंने कहा – हर पुरुष के भीतर एक बलात्कारी भेड़िया होता है। दुनिया को दिखने में सभ्य, भद्र पुरुष सिर्फ एक धैर्यवान भेड़िया होता है। उसे कोई ऐसी स्त्री दिखेगी जो असुरक्षित हो, अकेली हो, किसी सहारे की खोज में हो, तो उसका कुटिल मन सक्रिय हो जाएगा, तुरंत । वह कायर हुआ, तो वह शातिर और सूक्ष्म रूप से आगे बढ़ेगा, धीरे-धीरे, रोमांस का सहारा लेकर और अगर वह बद्तमीज़ और वल्गर है, कम ‘सॉफिस्टिकेटेड’ है, तो वह ऐसी हरकतें करेगा जिसके बारे में आप अक्सर अखबारों में पढ़ते हैं। स्त्री को देखकर पुरुष सेक्स के लिए प्रवृत्त होगा, यह एक स्वाभाविक बात है। उसकी हर कविता, प्रेम गीत, उसके हर उपहार का उद्देश्य स्त्री को अपने बिस्तर तक ले जाना होता है . बिस्तर और उसके बीच की दूरी के बीच तरह-तरह की रोमांटिक बेवकूफियां, तरह-तरह के बारीक खेल चलते रहेंगे, और इसे बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। ये खेल जब दोनों को प्रिय लगते हैं, तो उसे प्यार की स्थिति कहते हैं।बेहद कम लोगों में, ऐसी गलत सोच, जीवन में एक भी बार नहीं आती ।
कितने पुरुष हैं, पूरी दुनिया में जो अपनी पत्नी के साथ केवल तभी सहवास करते हैं, जब पत्नी की भी इच्छा होती है ? अपनी इच्छा थोपने वाले वे सभी पुरुष बलात्कारी हैं। और अगर कोई स्त्री ऐसा करती है, किसी पुरुष के साथ, सिर्फ धन और सौंदर्य के बल पर या प्रतिफल की लालच के साथ, तो क्या वह भी बलात्कारी नहीं है ? यदि किसी के मन में किसी स्त्री के साथ अपने तरीके से , ज़बर्दस्ती सेक्स करने की इच्छा भी है या यदि वह पॉर्न देखकर उसका प्रयोग किसी स्त्री के साथ करने की आंतरिक चाह भी रखता है या भले ही उसने किसी से सेक्स की वह इच्छा कभी व्यक्त नहीं की हो, तो वह भी, कहीं भी होने वाले बलात्कार के लिए उतना ही दोषी है , जितना एक बलात्कारी युवक।
अंत में, उसने सवाल पूछा कि आप मर्दों में से किस में , जीवन में कभी भी भीतर और बाहर से एक बार भी ऐसे कलुषित विचार नहीं आया है ? जवाब देने की जगह , वहाँ उपस्थित मुझ सहित सभी बूढ़े अंकल भाग खड़े हुए।
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स