आज अचानक एक बात मेरे जेहन में आ गई , जिसे मैं लिख रहा हूं , जोकि आज के राजनीतिक सिस्टम में , बहुधा सही बैठती है .
अगर कोई अच्छा चोर है तो
वह अच्छा रखवाला भी बन सकता है
और अगर कोई अच्छा रखवाला है
तो वह अच्छा चोर भी बन सकता है
आज हमारे देश में यही हो रहा है
अच्छे रखवाले चोर बन गये हैं
मगर चोर अभी भी चोर ही हैं
इस बात के साथ , आज मैंने पत्रकार माधो से कहा कि जब भी सत्ता परिवर्तन के लिये विपक्ष लड़ाई लड़ता है तो वह सत्ता पक्ष पर तमाम घपले के इल्ज़ाम लगाता है . वह सत्ता में आ जाता है तो उन इलज़ामों के जांच की खाना पूर्ति करता है जबकि अपने अधिकार का उपयोग कर जल्दी से घपलेबाज़ों को जेल भिजवाने का कार्य कर सकता है . अब पत्रकार माधो हंसते हुए बोले , अगर अभी सत्ता में रहते हुए कड़ापन दिखाया तो आगे सत्ता से बेदखल होने के बाद , खुद के लिये भी, जेल जाने का प्रबंध बनाया, दिखता है . फिर इस कड़क रुख से चुनाव जीतने -जितवाने में सक्षम घपले बाज़ नेता आपसे हाथ मिलाने से बिदक सकते हैं . इसलिये सबसे ज़्यादा सेफ गेम होता है कि आप हर चुनाव आने के पहले खूब हल्ला करो और चुनाव के बाद , किसी बहाने , जैसे – मामले की जांच चल रही है या मामला न्यायपालिका में लंबित है इत्यादि का सहारा लेकर बुचक जाओ . अब मैंने कहा कि लेकिन अपने पहले जिताऊ चुनाव, से पहले, साहेब ने कहा था कि संसद अपराधियों से मुक्त होगा उसका क्या ? मेरी बात को अनसुना कर पत्रकार माधो बोले ,
तुम भी चलो ,हम भी चलें, चलती रहे ज़िंदगी
एक दूसरे पर आरोप लगा , जनता से करें दिल्लगी..
पर यदि दोनो भूखे रहें, तो कैसे चलेगी ज़िंदगी ..
तुम भी खाओ , हम भी खाएं , मस्ती भरी ज़िंदगी..
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स