Total Users- 643,414

spot_img

Total Users- 643,414

Saturday, February 22, 2025
spot_img

कानून : अधिवक्ताओं का आचरण कैसा होना चाहिये , अधिवक्ता अधिनियम 1961 के अंतर्गत

अधिवक्ता अधिनियम 1961 के धारा 35 के अंतर्गत स्टेट बार कौंसिल द्वारा अधिवक्ता के विरूद्ध प्राप्त दुराचरण की शिकायत पर अथवा स्वप्रेरणा से अधिवक्ता के विरूद्ध व्यवसायिक दुराचरण की कार्यवाही करने और अधिवक्ता को दंडित करने का प्रावधान है। कोई भी व्यक्ति अधिवक्ता के दुराचरण की शिकायत स्टेट बार कौंसिल को कर सकता है। स्टेट बार कौंसिल की अनुशासन समिति शिकायत प्रकरण रजिस्टर कर उसकी सुनवाई कर निम्न आदेशों में से कोई आदेश पारित कर सकती है:-
(क) शिकायत खारिज कर सकेगी।
(ख) अधिवक्ता को कोई चुनौती दे सकेगी।
(ग) अधिवक्ता को विधिव्यवसाय से उतनी अवधि के लिये निलंबित कर सकेगी, जितनी ठीक समझें, निलंबन की अवधि में अधिवक्ता को विधि व्यवसाय करने की पात्रता नहीं होगी।
(घ) अधिवक्ता का नाम अधिवक्ताओं की राज्य नामावली में से हटा सकेगी।
अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 37 के अंतर्गत स्टेट बार कौंसिल के आदेश के विरूद्ध बार कौंसिल ऑफ इंडिया नई दिल्ली के समक्ष और धारा 38 के अंतर्गत बार कौंसिल आफ इंडिया के आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की
जा सकेगी।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अधिवक्ता के विरूद्ध व्यवसायिक दुराचरण के संबंध में अनुशासन संबंधी कार्यवाही करते समय अनुशासन समिति को संदेह के लाभ के सिद्धांत को और तथ्यों के युक्तियुक्त संदेह से परे सिद्ध करने की आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए और यह भी देखा जाना चाहिए कि अधिवक्ता ने सद्भावनापूर्वक कार्य किया या दुर्भावनापूर्वक तथा अपराधिक आशय (मेन्सरिया) मौजूद था या नही। (ए.आई.आर. 1989 सुप्रीम कोर्ट 245) वकालत एवं व्यवसायिक आचार नीति के अंतर्गत अधिवक्ताओं के कृत्य जो व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में आते है:-
दुराचरण के श्रेणी में है:-
1. बिना उचित प्रमाण पत्र के विधि व्यवसाय करना।
2. न्यायालय में बिना उचित कारण अनुपस्थित होना और प्रकरण को स्थगित करना।
3. मामले के विषय में मवक्किल के निर्देश के बिना कार्यवाही करना।
4. कूटरचित शपत पत्र अथवा दस्तावेज प्रस्तुत करना और शपथ अधिनियम 1969 में दिये गये वैधानीक कर्त्तव्य की अवहेलना करना। (ए.आई.आर. 1985 सुप्रीम कोर्ट 287)
5. अधिवक्ता द्वारा बार-बार न्यायालय की अवमानना करना।
6. न्यायाधीश से अपने संबधों की जानकारी देकर मुवक्किल से राशि वसूल करना।

7. न्यास भंग करना।

8. अपने मुवक्किल को नुकसान पहुंचाने का कृत्य करना।

9. विधि व्यवसाय के साथ अन्य व्यवसाय करना।

10. मामले से संबंधित प्रापर्टी का क्रय करना।

11. लीगल एड प्रकरणों में फीस की मांग करना।

12. मामले से संबंधित सच्चाई को छुपाना।

13. वकालत नामा प्रस्तुत करने के पूर्व तय की गई फीस के अतिरिक्त फीस की मांग करना और न्यायालय के आदेश पर प्राप्त रकम में शेयर की मांग करना।

14. लोकपद का दुरूपयोग करना।

15. मुवक्किल से न्यायालय में जमा करने हेतु प्राप्त रकम जमा न करना।
16. रिकार्ड एवं साक्ष्य को बिगाड़ना एवं साथी को तोड़ना।

17. मुवक्किल द्वारा अपनी केस फाईल वापस मांगने पर फाईल वापस न करना और फीस की मांग करना (सुप्रीम कोर्ट 2000(1) मनिसा नोट 27 पेज 183 सुप्रीम कोर्ट)
18. अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24 के अंर्तगत अपात्र व्यक्ति द्वारा विधि व्यवसाय करना।(ए.आई.आर. 1997 सुप्रीम कोर्ट 864)

More Topics

आईसीसी पर बरसे पीसीबी, चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लोगो से ‘पाकिस्तान’ का नाम हटाने पर जताई आपत्ति

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC)...

ट्रंप ने जनरल सीक्यू ब्राउन को हटाया, लेफ्टिनेंट जनरल डैन केन होंगे नए संयुक्त सेना अध्यक्ष

वॉशिंगटन: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार देर...

पाकिस्तान की जेल से 22 भारतीय मछुआरों की घर वापसी

कराची की मलीर जेल में बंद 22 भारतीय मछुआरों...

बड़ी खबर: सुप्रीम कोर्ट का आदेश – यासीन मलिक की पेशी अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी

नई दिल्ली, 21 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े