केंद्र सरकार ने मकान खरीद एवं बिक्री में बिल्डरों द्वारा वादा खिलाफी और समय पर घर उपलब्ध नहीं कराने को गंभीरता से लेते हुए कड़े नियम एवं शर्तें लागू कर दी है. 1 मई 2016 को केंद्र सरकार ने खरीदारों को राहत देने के मकसद से रियल स्टेट रेगुलेटरी एक्ट में संसोधन करके नये एक्ट की 92 में 69 विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. इसके बाकि बचे नियमों को जल्द ही सरकार इसका खाका तैयार कर लागू करने में जुटी है.
देश में किसी भी तरह के प्रॉपर्टी खरीद एवं बिक्री के नाम पर ठगी करने वाले बिल्डर और डेवलपर को रोकने के लिए सरकार ने कड़े नियमों को प्रावधान किया है. केन्द्रीय शहरी आवास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने भी सभी राज्य की सरकारों से रियल एस्टेट अधिनियम 2016 के अंतर्गत जरुरी नियामक, प्राधिकरणों एवं न्यायाधिकरणों ने 1 अप्रेल 2017 से पूर्णतः लागू कर दिया है
क्या है एक्ट का उद्देश्य
इस विधेयक का उद्देश्य रियल एस्टेट में संस्थागत पारदर्शिता और जिम्मेदारी को ठीक ढंग से निभाते हुए रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ताओं का विश्वास प्राप्त करना एवं आवासीय लेन-देन को बढ़ावा देना है जिससे देश की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिल सके. इस विधेयक के अंतर्गत नियामक इकाई की स्थापना होगी जो उन बिल्डरों पर नकेल कसेगी जो नियमों का उलंघन करके इमारतों या प्रोजेक्ट का निर्माण करते हैं. खास बात यह है कि वर्तमान के अंडर-कंस्ट्रक्शन और आने वाले सभी प्रोजेक्ट भी इस नए कानून के अंतर्गत शामिल होंगे. रियल एस्टेट नियामक और विकास विधेयक उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने एवं रियल एस्टेट लेन-देन में निष्पक्षता लाने के साथ-साथ
समय पर परियोजनाओं के कार्यान्वयन में मार्ग प्रशस्त करने वाला कदम है.
घर खरीदारों को होगा फायदा
इस एक्ट के लागू होने की वजह से घर खरीदने वालों को बहुत से फायदे होंगे. अपने घर का
सपना देख रहे लोगों को घर खरीदने में आसानी होने के साथ-साथ निर्धारित समय पर घर
उपलब्ध होगा. बिल्डर्स द्वारा पैसे लेकर समय पर घर नहीं देने की समस्या से निजात
पाने के साथ सस्ते और अफोर्डेबल घर भी बायर्स की पहुँच में होगा. निचे रियल एस्टेट
रेगुलेटरी एक्ट के तहत उन विधेयक का उल्लेख किया गया है जो घर खरीदते समय आपको
होने वाले फायदों से अवगत कराएगा.
· यह सभी व्यवसायिकऔर आवासीय परियोजनाओं के साथ-साथ अंडरकंस्ट्रक्शन एवं 2016 में कंप्लीट प्रोजेक्ट पर लागू होगा.
· रियल एस्टेट लेन-देन को नियमित करने के लिए राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना करेगी.
· रियल एस्टेट बिल्डरों और रियल एस्टेट एजेंटों को प्राधिकरण के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा.
· सभी पंजीकृत परियोजनाओं का पूर्ण विवरण प्राधिकरण को देना होगा. जिसमें प्रमोटर, परियोजना, ले-आउट, योजना, भूमि की स्थिति, समझौते, रियल एस्टेट एजेंटों, ठेकेदारों और इंजीनियरों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल हो.
· परियोजना को समय पर पूरा करने में उसकी निर्माण लागत के लिए अलग बैंक खाते में विशेष राशि जमा करनी होगी.
· न्यायिक अधिकारियों और अपीलीय ट्राइब्यूनल के जरिए वाद-विवाद सुलझाने के लिए त्वरित
विवाद 60 दिन के भीतर निपटाने होंगे.
· न्यायालयों में विधेयक में परिभाषित मुद्दों को उठाने पर प्रतिबंध होगा हालांकि उपभोक्ता अदालतों में रियल एस्टेट के मामलों पर सुनवाई हो सकती है.
· प्रमोटर, उपभोक्ता की सहमति के बिना योजना और डिजाइन में बदलाव नहीं कर सकेंगे.
· नगर निकाय व अन्य प्रशासनिक कार्यालयों से मंजूरी लिये बगैर बिल्डर प्रीलॉन्च प्रोजेक्ट के
विज्ञापन नहीं दे सकेंगे.
· बिल्डर प्रोजेक्टके ब्रौशर और विज्ञापन में किये गए वादों को अगर पूरा नहीं करता तो उसे 3 से 5 साल की जेल हो सकती है.
· बिल्डर अगर कोई डेविएशन करता है तो पांच साल के भीतर यदि कोई जुर्माना लगाया जाता है तो उसका वहन बिल्डर को ही करना होगा बायर्स को नहीं.
· कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) देने की जिम्मेदारी बिल्डर
की होगी.
· वर्तमान में बिल्डर बिल्ट-अप एरिया बताते हैं कार्पेट एरिया नहीं, अब डीड में कार्पेट एरिया लिखना अनिवार्य होगा.
· नगर निकाय से अप्रूव लेआउट के मुताबिक बिल्डंग नहीं बनने पर प्रीलॉन्च में बुकिंग करने वाले उपभोक्ता प्राधिकरण में शिकायत कर सकेंगे.
· रीयल इस्टेट आवासीय परियोजना का पंजीकरण नहीं कराने पर रीयल एस्टेट परियोजना की प्रस्तावित लागत का दस प्रतिशत तक जुर्माना प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किया गया हो.