विनेश फोगाट मंगलवार, 6 अगस्त को ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। देर शाम अपना सेमीफाइनल मुकाबला खेलते हुए विनेश ने क्यूबा की लोपेज गुजमैन को हराकर पेरिस में अपने लिए पदक पक्का कर लिया।
बता दें कि इस मेडल के पीछे रेसलर की कड़ी मेहनत और मानसिक मेहनत दोनों शामिल है। एक समय था जब भारत की मशहूर महिला पहलवान विनेश फोगाट के आंसुओं को पूरे देश ने देखा जब वे महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण के खिलाफ सड़क पर उतरी थीं। उनके संघर्ष और जज्बे की कहानी प्रेरणादायक है।
मानसिक और शारीरिक संघर्ष
विनेश 16 महीने पहले डिप्रेशन में चली गई थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सड़क पर संघर्ष के दौरान उन्हें सिर पर चोटें भी आईं, लेकिन वे पीछे नहीं हटीं। उनके आत्मविश्वास और दृढ़ता ने उन्हें इस मुश्किल समय में भी मजबूत बनाए रखा।
करियर की शुरुआत और फिटनेस
29 साल की विनेश फोगाट ने 2016 में अपना पहला ओलंपिक खेला था। पिछले 8 सालों से उन्होंने अपनी फिटनेस और खेल के प्रति समर्पण को बरकरार रखा है। इस दौरान उन्होंने कई मुश्किलें झेली हैं, लेकिन कभी हार नहीं मानी।