शेयर बाजार में कम निवेश से फटाफट और ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में आने वाले निवेशकों की राह आगे मुश्किल हो सकती है। शेयर बाजार में रिटेल निवेशक को अधिक जोखिम वाले माध्यमों से सचेत रखने के लिए भारी टैक्स लगाया जा सकता है।
फ्यूचर एंड आप्शन जैसे डेरिवेटिव कांट्रेक्ट बढ़ी हुई टैक्स दर के दायरे में आ सकते हैं। साथ ही दिन-प्रतिदिन की ट्रेडिंग करने वालों पर अंकुश लगाने के कदम उठाए जा सकते हैं। शेयर बाजार में निवेश करने का चलन छोटे शहरों-कस्बों में तेजी से बढ़ रहा है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं। बीते दिनों से सेबी से लेकर एनएसई तक इस बात को लेकर चिंता जता चुके हैं कि बिना जोखिम को समझे नए निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं।