
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें खनिज वाले राज्यों के लिए बड़ी जीत हुई है। अदालत ने यह निर्णय दिया कि रॉयल्टी टैक्स को टैक्स नहीं माना जाएगा। इस निर्णय के बाद से खनिज पट्टाधारकों और सरकार के बीच अग्रीमेंट की शर्तों पर जोर आया है। इसमें सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विशेष उपयोग शुल्क के रूप में भुगतान किया जाता है।सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने खनिज पर लगाएं जाने वाले टैक्स को लेकर दाखिल याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया। CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने सात-दो के आधार पर फैसला सुनाते हुए कहा कि रॉयल्टी खनन पट्टे से आती है। यह आम तौर पर यह निकाले गए खनिजों की मात्रा के आधार पर निर्धारित की जाती है। रॉयल्टी की बाध्यता पट्टादाता और पट्टाधारक के बीच एग्रीमेंट की शर्तों पर निर्भर करती है और भुगतान सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विशेष उपयोग शुल्क के लिए होता है।
