भारत का स्वतंत्रता संग्राम एक लंबा और संघर्षपूर्ण सफर था, जिसमें लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यह संघर्ष कई दशकों तक चला और अंततः भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। स्वतंत्रता प्राप्ति का यह सफर अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों, आंदोलनों, और संघर्षों से भरा हुआ था। आइए, इसके प्रमुख चरणों के बारे में विस्तार से जानें:
1. प्रारंभिक संघर्ष (1857-1885)
- 1857 का विद्रोह: इसे ‘भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम’ भी कहा जाता है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ यह पहला व्यापक विद्रोह था, जिसमें सैनिकों, किसानों, और राजाओं ने हिस्सा लिया। यह विद्रोह सफल नहीं हो सका, लेकिन इसने भारतीयों में स्वतंत्रता की भावना को प्रज्वलित किया।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का गठन: 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। यह संगठन बाद में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाला प्रमुख राजनीतिक दल बना।
2. महात्मा गांधी का आगमन (1915-1920)
- महात्मा गांधी के भारत लौटने के बाद स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आंदोलन किए।
- चंपारण सत्याग्रह (1917) और खिलाफत आंदोलन (1919) जैसे आंदोलनों ने देशवासियों को एकजुट किया।
3. असहयोग आंदोलन (1920-1922)
- ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों के विरोध में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, जिसमें लोगों ने सरकारी नौकरियों, स्कूलों, और अदालतों का बहिष्कार किया। यह आंदोलन बहुत सफल रहा, लेकिन चौरी चौरा कांड के बाद इसे वापस ले लिया गया।
4. नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
- 1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून के विरोध में दांडी मार्च किया, जो सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत थी। इसमें लाखों लोगों ने भाग लिया और ब्रिटिश कानूनों का उल्लंघन किया।
5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांधीजी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का आह्वान किया। उन्होंने ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिससे देश में ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक जनांदोलन खड़ा हुआ। ब्रिटिश सरकार ने हजारों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन आंदोलन जारी रहा।
6. आजाद हिंद फौज और सुभाष चंद्र बोस (1943-1945)
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जापान की मदद से आजाद हिंद फौज का गठन किया और अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया। हालांकि, यह आंदोलन सफल नहीं हो पाया, लेकिन इसने भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की भावना को और भी प्रबल कर दिया।
7. माउंटबेटन योजना और भारत का विभाजन (1947)
- अंग्रेजों ने महसूस किया कि अब भारत पर शासन करना कठिन है। इसलिए, उन्होंने भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया। माउंटबेटन योजना के तहत भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, लेकिन इसके साथ ही देश का विभाजन भी हुआ, और भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने।
8. स्वतंत्रता की घोषणा
- 15 अगस्त 1947 को, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले से देशवासियों को संबोधित किया और स्वतंत्रता की घोषणा की। उन्होंने अपने ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ में कहा, “रात के समय, जब दुनिया सो रही होती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता की ओर जागता है।”
9. संविधान का निर्माण और गणतंत्र की स्थापना (1950)
- स्वतंत्रता के बाद, एक संविधान सभा का गठन हुआ, जिसने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, और भारत एक गणराज्य बना।
स्वतंत्रता का महत्व
भारतीय स्वतंत्रता न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता थी, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी प्रतीक थी। इसने भारत को एक नई पहचान दी और देशवासियों को अपने भाग्य का निर्माता बनने का अवसर दिया।
निष्कर्ष
भारत की स्वतंत्रता का सफर बलिदानों, संघर्षों, और आंदोलन की एक लंबी गाथा है। यह स्वतंत्रता हमें हमारे पूर्वजों की कठिनाइयों और बलिदानों की याद दिलाती है, जिन्होंने हमें एक स्वतंत्र राष्ट्र का सपना दिखाया। हमें इस स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए और अपने देश को विकास और प्रगति की ओर ले जाने के लिए सतत प्रयास करना चाहिए।