1 अक्टूबर 2024 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्मदिन है। जानें उनके जीवन, शिक्षा, राजनीतिक यात्रा और देश के प्रति उनके योगदान की पूरी कहानी।
1 अक्टूबर 2024 का दिन भारत के लिए खास है क्योंकि यह हमारे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्मदिन है। भारतीय राजनीति में उन्होंने अपनी सादगी, दृढ़ संकल्प और देशसेवा के प्रति समर्पण से एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। रामनाथ कोविंद न केवल देश के 14वें राष्ट्रपति बने बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में उन्होंने अनेक योगदान दिए हैं। इस लेख में हम उनके जीवन, राजनीतिक करियर और देश के प्रति उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में हुआ था। उनका परिवार सामान्य वर्ग से था, लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी। कठिन परिस्थितियों के बावजूद रामनाथ कोविंद ने कभी हार नहीं मानी और अपने मेहनत और लगन से अपनी पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उनके जीवन की शुरुआत से ही समाज के प्रति उनकी सेवा भावना स्पष्ट दिखाई देती थी। कोविंद जी ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए हमेशा खड़े रहना सीखा और यही गुण उन्हें भविष्य में एक महान नेता बनाएंगे।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
रामनाथ कोविंद का राजनीति में आगमन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हुआ। उन्होंने 1991 में भाजपा जॉइन की और धीरे-धीरे पार्टी में अपनी पहचान बनाई। कोविंद जी ने कानूनी सलाहकार के रूप में भाजपा का मार्गदर्शन किया और बाद में राज्यसभा के सदस्य बने। 1994 से 2006 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व किया।
राज्यसभा सदस्य के रूप में रामनाथ कोविंद ने दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के अधिकारों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों की समस्याओं को संसद में उठाया और उनके उत्थान के लिए लगातार काम किया।
राष्ट्रपति बनने की यात्रा
रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति पद तक का सफर बेहद प्रेरणादायक है। 2017 में, भाजपा के नेतृत्व में एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) ने उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया। यह न केवल उनकी राजनीतिक योग्यता का प्रमाण था, बल्कि उनके सादगी और समाज सेवा के प्रति उनके समर्पण को भी मान्यता दी गई।
उन्होंने 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनकी राष्ट्रपति पद की यात्रा भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, क्योंकि वह दलित समुदाय से आने वाले दूसरे राष्ट्रपति बने। उनके इस चुनाव ने सामाजिक समानता और समरसता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और भी मजबूत किया।
राष्ट्रपति के रूप में योगदान
राष्ट्रपति पद के दौरान रामनाथ कोविंद ने देश के संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा को बनाए रखा। उनका कार्यकाल शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण रहा। उन्होंने हमेशा संविधान की रक्षा की और अपने निर्णयों में निष्पक्षता बनाए रखी। उन्होंने अनेक राज्यों की यात्रा की और वहां के विकास कार्यों की समीक्षा की।
कोविंद जी ने शिक्षा, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण भाषण दिए। उनके कार्यकाल में देश को यह संदेश मिला कि सत्ता का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।
समाज के प्रति उनकी दृष्टि
रामनाथ कोविंद हमेशा समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के प्रति संवेदनशील रहे हैं। उनके जीवन का लक्ष्य समाज के हर व्यक्ति को समान अवसर और सम्मान दिलाना रहा है। उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कई बार इस बात को स्पष्ट किया कि देश का विकास तभी संभव है जब समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार मिलें।
उनका मानना है कि समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना ही सच्चा लोकतंत्र है। उनके भाषणों में हमेशा सामाजिक न्याय, समानता और समावेशिता की बात प्रमुख रूप से दिखाई देती है। उन्होंने भारतीय संविधान को हमेशा सर्वोपरि रखा और सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की।
महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के प्रति योगदान
रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने हमेशा शिक्षा को समाज के विकास का प्रमुख आधार माना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर बच्चे, विशेषकर लड़कियों, को शिक्षा के समान अवसर मिलने चाहिए।
उनका मानना था कि महिलाओं का सशक्तिकरण देश के विकास के लिए आवश्यक है। राष्ट्रपति पद के दौरान उन्होंने कई ऐसे कार्यक्रमों को समर्थन दिया जो महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा के लिए समर्पित थे।
रामनाथ कोविंद का जीवन और उनका सफर प्रेरणादायक है। एक साधारण परिवार से आकर वे देश के राष्ट्रपति बने और समाज के हर वर्ग के लिए काम किया। उनकी जीवनशैली, सादगी, और सेवा की भावना हर व्यक्ति को प्रेरित करती है। 1 अक्टूबर 2024 को उनका जन्मदिन हमें यह सिखाता है कि समर्पण और मेहनत से किसी भी ऊंचाई को छुआ जा सकता है। देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा और उनकी प्रेरणा से नई पीढ़ी आगे बढ़ेगी।
उनका जीवन यह संदेश देता है कि किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है, और यदि कोई व्यक्ति समाज और देश के प्रति समर्पित होता है, तो वह सबसे ऊंचे स्थान तक पहुंच सकता है।