नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में चल रही नीति आयोग की बैठक से वॉकआउट कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि मीटिंग में उन्हें सिर्फ 5 मिनट बोलने दिया गया. अब इन आरोपों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया.
उन्होंने कहा, माइक बंद करने का आरोप गलत है.
ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “सीएम ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं. हम सभी ने उनकी बात सुनी.हर सीएम को आवंटित समय दिया गया था और यह हर टेबल के सामने मौजूद स्क्रीन पर दिखाया गया था. हम देख सकते थे कि दो टेबल के सामने एक स्क्रीन थी. उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था. यह पूरी तरह से झूठ है. हर सीएम को बोलने के लिए उनका उचित समय दिया गया था.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, जो सच नहीं है. उन्हें झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने के बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार (27 जुलाई) को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर निकल आईं. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के दौरान बीच में ही रोक दिया गया. फिलहाल, सरकारी सूत्रों ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ममता को बोलने के लिए दिया गया समय समाप्त हो गया था.
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने आगे कहा कि पांच मिनट के बाद उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को अधिक देर तक बोलने की अनुमति दी गई. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ”यह अपमानजनक है. मैं आगे से किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लूंगी. उन्होंने बैठक से बाहर आने के बाद संवाददाताओं से कहा, ”मैं बैठक का बहिष्कार करके बाहर आई हूं. (आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री) चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए. इसके अलावा असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10 से 12 मिनट तक अपनी बात रखी. मुझे 5 मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया. यह अनुचित है.
सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ”विपक्ष की तरफ से मैं यहां अकेली नेता हूं. मैंने बैठक में इसलिए हिस्सा लिया, क्योंकि सहकारी संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए. सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह कहना गलत है कि ममता का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि घड़ी के अनुसार, उनके बोलने का समय समाप्त हो गया था. सूत्रों ने बताया कि वर्णानुक्रम के अनुसार, ममता की बोलने की बारी दोपहर के भोजन के बाद आती, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बोलने की अनुमति दी गई, क्योंकि उन्हें जल्दी कोलकाता लौटना था.