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Thursday, October 10, 2024

नोटबंदी कब हुई थी, जानिए 8 नवंबर 2016 की पूरी कहानी

नोटबंदी (Demonetization) भारत में एक ऐतिहासिक आर्थिक कदम था, जिसे 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में घोषित किया। इस निर्णय के तहत 500 और 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को अवैध करार दिया गया और ये नोट कानूनी रूप से प्रचलन से बाहर हो गए। इस कदम का उद्देश्य भ्रष्टाचार, काले धन, जाली मुद्रा, और आतंकवाद की फंडिंग पर रोक लगाना था। आइए, 8 नवंबर 2016 की पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं:

1. नोटबंदी की घोषणा

  • 8 नवंबर 2016 की शाम को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष प्रसारण के माध्यम से देश को संबोधित करते हुए घोषणा की कि उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 रुपये के सभी पुराने नोट अमान्य हो जाएंगे।
  • उन्होंने कहा कि ये नोट अब कानूनी मुद्रा नहीं होंगे और इनका उपयोग किसी भी प्रकार की लेनदेन में नहीं किया जा सकेगा। इसके बजाय, 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे।

2. नोटबंदी का उद्देश्य

  • काले धन पर रोक: सरकार का लक्ष्य देश में मौजूद काले धन को निकालना और भ्रष्टाचार को समाप्त करना था।
  • जाली मुद्रा पर नियंत्रण: नकली नोटों का प्रचलन, विशेषकर 500 और 1000 रुपये के नोटों में, आतंकवाद और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों को फंडिंग देने के लिए इस्तेमाल हो रहा था।
  • कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: सरकार का उद्देश्य डिजिटल और कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देना भी था, ताकि देश की अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी हो सके।

3. नोटबंदी के बाद की स्थिति

  • बैंकों और एटीएम में लंबी कतारें: घोषणा के बाद, लोगों को अपने पुराने नोटों को बदलने और जमा करने के लिए बैंकों और एटीएम के सामने लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा।
  • नकदी की कमी: नए नोटों की उपलब्धता सीमित होने के कारण नकदी की कमी हो गई, जिससे लोगों को कई तरह की असुविधाओं का सामना करना पड़ा।
  • व्यापार और व्यवसाय प्रभावित: विशेषकर छोटे व्यापारियों और दैनिक मजदूरी करने वालों को काफी दिक्कतें हुईं, क्योंकि नकदी की कमी के कारण उनके व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

4. पुराने नोटों को बदलने और जमा करने की प्रक्रिया

  • लोगों को अपने पुराने नोटों को 30 दिसंबर 2016 तक बैंकों में जमा करने और बदलने का समय दिया गया।
  • बैंक खाते में जमा की गई राशि के लिए लोगों को पहचान पत्र (KYC) दिखाना अनिवार्य था।
  • एक निश्चित राशि से अधिक जमा करने पर आयकर विभाग द्वारा जांच की जा सकती थी।

5. आरबीआई द्वारा नए नोटों की शुरूआत

  • 500 रुपये के नए नोटों के साथ-साथ 2000 रुपये के नए नोटों को भी बाजार में उतारा गया।
  • नए नोटों को जाली मुद्रा से बचाने के लिए नए सुरक्षा फीचर्स के साथ पेश किया गया।

6. नोटबंदी के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

  • सकारात्मक प्रभाव:
    • डिजिटल भुगतान में वृद्धि: नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन और मोबाइल वॉलेट्स का इस्तेमाल काफी बढ़ गया।
    • बैंक खातों की संख्या में वृद्धि: जन धन योजना के तहत कई लोगों ने बैंक खाते खुलवाए, जिससे बैंकिंग व्यवस्था में पारदर्शिता आई।
    • कर संग्रहण में वृद्धि: कई लोगों ने काले धन को सफेद बनाने के लिए अपने पैसे को बैंकों में जमा किया, जिससे कर संग्रहण में वृद्धि हुई।
  • नकारात्मक प्रभाव:
    • लोगों की समस्याएं: नकदी की कमी के कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बैंकों और एटीएम के सामने लंबी कतारों में लगने के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हुई।
    • व्यापार और व्यवसाय पर असर: व्यापारियों, किसानों, और छोटे उद्योगों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, क्योंकि नकदी की कमी ने उनके व्यवसाय को प्रभावित किया।
    • अर्थव्यवस्था पर असर: आर्थिक विकास दर में कमी आई और जीडीपी ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

7. विवाद और आलोचनाएं

  • कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने नोटबंदी की आलोचना की। उनका मानना था कि इस कदम से काले धन पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया जा सकता, क्योंकि अधिकतर काला धन नकदी में नहीं, बल्कि अन्य संपत्तियों (जैसे सोना, अचल संपत्ति) में होता है।
  • विपक्षी दलों ने भी इसे ‘तुगलकी फरमान’ और ‘अव्यवस्थित निर्णय’ बताया और इसके क्रियान्वयन को लेकर सरकार की आलोचना की।

8. नोटबंदी के बाद की स्थिति

  • 30 दिसंबर 2016 को नोटबंदी की समय सीमा समाप्त होने के बाद, आरबीआई ने यह रिपोर्ट दी कि अधिकांश पुराने नोट बैंकों में वापस आ गए थे।
  • डिजिटल लेन-देन और कर संग्रहण में वृद्धि देखी गई, लेकिन छोटे व्यापारियों और ग्रामीण क्षेत्रों में इसके नकारात्मक प्रभाव भी लंबे समय तक देखने को मिले।

निष्कर्ष

नोटबंदी भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव डाला। इसके उद्देश्य और क्रियान्वयन को लेकर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन इसने निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना को एक नई दिशा दी। यह घटना आज भी देश के राजनीतिक और आर्थिक विमर्श का एक महत्वपूर्ण विषय बनी हुई है।

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