मेक इन इंडिया के 10 साल: जानें कैसे यह पहल भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब में बदल रही है। निवेश, नवाचार, और उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को मिला नया आयाम।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 सितंबर 2014 को लॉन्च किया गया “मेक इन इंडिया” अभियान अब 10 साल पूरे कर चुका है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत को एक वैश्विक डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलना है। मेक इन इंडिया का उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना, नवाचार को प्रोत्साहन देना, कौशल विकास को बढ़ावा देना, बौद्धिक संपदा की सुरक्षा करना और विश्व-स्तरीय मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है।
मेक इन इंडिया के प्रमुख बिंदु
- वोकल फॉर लोकल: यह अभियान न केवल भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की औद्योगिक क्षमता को प्रदर्शित करने का भी उद्देश्य रखता है।
- 27 क्षेत्रों को कवर करने वाला दूसरा चरण: मेक इन इंडिया का दूसरा चरण (Make in India 2.0) 27 क्षेत्रों को कवर करता है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों शामिल हैं।
मेक इन इंडिया के चार प्रमुख स्तंभ
- नई प्रक्रियाएं: व्यापारिक माहौल को सुधारने, स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ एक महत्वपूर्ण कारक बन गया।
- नया इंफ्रास्ट्रक्चर: औद्योगिक कॉरिडोर्स, स्मार्ट सिटी, उन्नत तकनीक और हाई-स्पीड संचार के विकास द्वारा विश्व-स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण।
- नए क्षेत्र: रक्षा उत्पादन, बीमा, मेडिकल उपकरण, निर्माण और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना।
- नई सोच: सरकार ने उद्योग के विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगी की भूमिका निभाई, जहां सरकार एक नियामक से ज्यादा एक सहायक की भूमिका में रही।
मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए प्रमुख योजनाएं
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम: इस योजना का उद्देश्य उन्नत तकनीक को अपनाना, निवेश को आकर्षित करना और परिचालन कुशलता सुनिश्चित करना है। यह योजना 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है।
- पीएम गति शक्ति: आत्मनिर्भर भारत और 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने की रणनीतिक पहल। यह मल्टीमॉडल और अंतिम-मील कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर केंद्रित है, जिससे आर्थिक विकास और स्थायी विकास को गति दी जा सके।
- सेमिकंडक्टर इकोसिस्टम डेवलपमेंट: भारत में सेमिकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए चार प्रमुख योजनाएं चलाई गईं। इसका उद्देश्य पूंजी समर्थन प्रदान करना और प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना है।
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास और आसान व्यापार के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ यह नीति लाई गई। इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स सिस्टम्स, मानकीकरण और मानव संसाधन विकास में सुधार करना है।
- राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य स्मार्ट सिटी और उन्नत औद्योगिक हब का निर्माण करना है।
- स्टार्टअप इंडिया: इस योजना के तहत उद्यमियों को समर्थन देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए, जिससे भारत में रोजगार देने वालों का एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार हुआ।
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन: यह भारत की प्रमुख कर सुधारों में से एक है और इसे मेक इन इंडिया अभियान के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI): भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास के लिए UPI को एक प्रमुख पहल माना गया है, जो व्यापार में आसानी को सक्षम बनाता है।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: नियमों को सरल बनाने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने और निवेशकों के आत्मविश्वास को बढ़ाने की दिशा में किए गए प्रयासों ने मेक इन इंडिया के लक्ष्यों को मजबूत किया है।
मेक इन इंडिया के सफल उदाहरण
मेक इन इंडिया के तहत, भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जैसे ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उत्पादन और फार्मास्युटिकल्स। इसका सबसे बड़ा लाभ यह रहा है कि विदेशी निवेशक अब भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।