शनिवार (13 जुलाई) को गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन किया, जो उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देता है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को जारी किया है, जो उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देते हैं।
बता दें कि जम्मू कश्मीर में इस वक्त मनोज सिन्हा एलजी के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें अगस्त 2020 से जम्मू-कश्मीर के एलजी के रूप में नियुक्त किया गया था।
गृह मंत्रालय ने प्रशासनिक सचिवों और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करते हुए एक अधिसूचना जारी की। इन मामलों से संबंधित प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग के प्रशासनिक सचिव को मुख्य सचिव के माध्यम से एलजी को सौंपना होगा। इसके अलावा जिन प्रस्तावों पर वित्त विभाग की सहमति की जरूर होती है, जिन पर एलजी के पास मौजूद पावर हैं, उन्हें स्वीकृत या अस्वीकार किए जाने से पहले मुख्य सचिव के माध्यम से एलजी को पेश किया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी प्रस्ताव जिसके लिए अधिनियम के तहत एलजी के समझ का इस्तेमाल करने के लिए ‘पुलिस’ ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘अखिल भारतीय सेवा’ और ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ के संबंध में वित्त विभाग की पिछली सहमति की आवश्यकता होती है, तब तक सहमति या अस्वीकार नहीं किया जाएगा। इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के सामने रखा गया है।
पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का रिएक्शन
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के बाद केंद्र शासित प्रदेश (UT) के उपराज्यपाल को ज्यादा पावर देने के बाद, पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर एक शक्तिहीन मुख्यमंत्री से बेहतर का हकदार है।