पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की गुम हुई चाबियों के रहस्य ने हाल ही में विशेष रूप से राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है। रत्न भंडार, जिसमें मंदिर के बहुमूल्य आभूषण और आभूषण रखे हुए हैं, में एक बाहरी और एक आंतरिक कक्ष है। आंतरिक कक्ष की चाबियाँ 2018 से गायब हैं जब उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा निरीक्षण का आदेश दिया गया था।
दरअसल इस रत्न भंडार की देखरेख के लिए सरकार की तरफ से नियुक्त गई समिति के एक सदस्य ने यह शक जताया है। उन्हें आशंका कि पहले कीमती सामान चुराने के लिए नकली चाबियों का इस्तेमाल किया जाता था
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस पैनल के अध्यक्ष विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में सोमवार को पुरी में बैठक हुई थी। जिसके बाद समिति के सदस्य जगदीश मोहंती ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा, ‘नकली चाबियों के काम न करने के बाद ताले तोड़े गए, इससे यह साफ होता है कि आपराधिक मकसद और कीमती सामान चुराने की मंशा थी। नकली चाबी का मुद्दा एक धोखा था, क्योंकि चोरी की कोशिश से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि साल 2018 में इस रत्न भंडार की असली चाबियां गायब हो गई थी। इसके बाद पुरी प्रशासन ने दो नकली चाबियां बनवाई थी। हालांकि 14 जुलाई को जब रत्न भंडार खोलने की कोशिश की गई, तो इन चाबियों ने काम ही नहीं किया। इसके बाद समिति के सदस्यों को रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष के तीनों ताले तोड़ने पड़े थे।
वहीं अब यह मुद्दा राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मामले को संभालने के ओडिशा सरकार के तरीके और गुम हुई चाबियों पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को दबाने पर सवाल उठाए हैं।