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Saturday, October 12, 2024

हड़प्पा (सिंधु घाटी) सभ्यता का पतन कब हुआ

हड़प्पा सभ्यता (जिसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है) का पतन लगभग 1900 ईसा पूर्व के आसपास हुआ माना जाता है। यह सभ्यता प्राचीन विश्व की सबसे महत्वपूर्ण और उन्नत सभ्यताओं में से एक थी, जिसका विकास लगभग 3300 ईसा पूर्व से शुरू हुआ और अपने चरम पर 2600 से 1900 ईसा पूर्व के बीच थी। सभ्यता के पतन के कई कारण बताए जाते हैं, लेकिन कोई भी एक कारण पूरी तरह से निश्चित नहीं है। हड़प्पा सभ्यता का पतन धीरे-धीरे हुआ, और इसके पतन के पीछे कई संभावित कारक हो सकते हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव, आंतरिक संघर्ष, और विदेशी आक्रमण प्रमुख हैं।

हड़प्पा सभ्यता का विकास

हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा, कालीबंगा, और लोथल शामिल थे। यह सभ्यता अपने उन्नत शहरी नियोजन, जल निकासी प्रणाली, विशाल सार्वजनिक स्नानागार, और विकसित व्यापारिक प्रणाली के लिए जानी जाती है। हड़प्पावासियों ने तांबा, कांस्य, पत्थर और कच्ची मिट्टी के बर्तन बनाए, और उनका समाज अच्छी तरह से संगठित था।

हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारण

  1. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय कारण:
    • सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के पीछे प्रमुख कारणों में से एक जलवायु परिवर्तन माना जाता है। सभ्यता का प्रमुख हिस्सा सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पास बसा था। वैज्ञानिकों का मानना है कि सिंधु नदी में बाढ़ और बदलाव, नदियों के प्रवाह का रुख बदलने, और जलवायु में सूखे जैसे परिवर्तन इस सभ्यता के पतन का कारण बने।
    • कई अध्ययन बताते हैं कि सभ्यता के अंतिम काल में नदियों में पानी की कमी हो गई थी और इस कारण कृषि योग्य भूमि की उपजाऊ क्षमता घट गई थी। यह परिवर्तन कृषि पर निर्भर इस सभ्यता के लिए विनाशकारी साबित हुआ और लोगों को अन्य स्थानों की ओर पलायन करने पर मजबूर किया।
  2. नदियों का मार्ग बदलना:
    • हड़प्पा सभ्यता सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई थी। कुछ पुरातात्विक और भूवैज्ञानिक साक्ष्य यह संकेत देते हैं कि सरस्वती और घग्गर-हाकरा नदियों का प्रवाह मार्ग बदल गया या सूख गया। इसके परिणामस्वरूप, इन नदियों के किनारे बसे हुए नगरों को जल स्रोत की कमी का सामना करना पड़ा, जिससे कृषि और पानी पर आधारित जीवन कठिन हो गया और लोग शहरों को छोड़ने लगे।
  3. प्राकृतिक आपदाएँ:
    • सिंधु घाटी सभ्यता में बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रमाण भी मिले हैं। मोहनजोदड़ो जैसे प्रमुख शहरों में बार-बार आने वाली बाढ़ों के संकेत मिले हैं, जिससे वहाँ के लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
    • इसके अलावा, सभ्यता के पतन के समय भूकंप की संभावना भी जताई गई है, जिससे नदियों के प्रवाह और भूमि की भौगोलिक संरचना में बदलाव आ गया हो सकता है।
  4. आर्थिक और व्यापारिक गिरावट:
    • हड़प्पा सभ्यता व्यापारिक गतिविधियों पर काफी निर्भर थी। हड़प्पावासियों का व्यापार मेसोपोटामिया, फ़ारस, और मध्य एशिया के अन्य सभ्यताओं के साथ होता था। जैसे-जैसे इन व्यापारिक मार्गों में गिरावट आई, हड़प्पा की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई।
    • व्यापार में कमी और कृषि उपज की घटती स्थिति के कारण हड़प्पा के लोग आर्थिक संकट में आ गए, जिससे उनके शहरों की समृद्धि समाप्त होने लगी।
  5. आर्यों का आक्रमण (विवादास्पद सिद्धांत):
    • हड़प्पा सभ्यता के पतन के बारे में एक विवादास्पद सिद्धांत यह है कि आर्यों के आक्रमण के कारण यह सभ्यता नष्ट हो गई। इस सिद्धांत के अनुसार, आर्य लोग मध्य एशिया से आए और उन्होंने हड़प्पा सभ्यता पर हमला किया।
    • हालांकि, इस सिद्धांत को पुरातात्विक साक्ष्यों से पूरी तरह से समर्थन नहीं मिलता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि आर्यों के आगमन से पहले ही हड़प्पा सभ्यता का पतन हो चुका था, और यह एक धीमी प्रक्रिया थी, जिसमें कई कारक शामिल थे।
  6. सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता:
    • हड़प्पा सभ्यता के पतन के समय सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता के प्रमाण मिलते हैं। शहरों के बीच संपर्क कम हो गया था, और लोगों ने बड़े शहरी केंद्रों को छोड़कर छोटे गाँवों की ओर पलायन किया। इसका मतलब यह है कि शहरी जीवन और समाज की संरचना में भी गिरावट आई।
  7. संक्रमणकालीन सभ्यता:
    • हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद, भारत में एक संक्रमणकालीन समय आया, जिसे वेदिक काल कहा जाता है। हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में एक नई सभ्यता का उदय हुआ, जो मुख्य रूप से कृषि और छोटे गाँवों पर आधारित थी। हड़प्पा सभ्यता के बाद भारत में आर्य सभ्यता का विकास हुआ, जिसने वेदों और आर्य संस्कृति की स्थापना की।

हड़प्पा सभ्यता का प्रभाव और धरोहर

  • हड़प्पा सभ्यता का पतन होते हुए भी, इसके द्वारा विकसित की गई कई तकनीकें और सामाजिक संगठन भारतीय उपमहाद्वीप की बाद की सभ्यताओं पर गहरा प्रभाव डालते रहे।
  • हड़प्पा की उन्नत शहरी योजना, जल निकासी प्रणाली, और व्यापारिक प्रणाली भारत के शहरी विकास के शुरुआती उदाहरण हैं। इस सभ्यता के कई शहरों की खुदाई में मिली वस्तुएँ और स्थापत्य कला हमें उनके उन्नत और व्यवस्थित जीवन का संकेत देती हैं।

निष्कर्ष

हड़प्पा सभ्यता का पतन लगभग 1900 ईसा पूर्व के आसपास हुआ, और इसके पतन के कई संभावित कारण हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, नदियों का मार्ग बदलना, प्राकृतिक आपदाएँ, आर्थिक गिरावट, और सामाजिक अस्थिरता शामिल हैं। हालांकि कुछ विद्वान आर्यों के आक्रमण को भी पतन का कारण मानते हैं, लेकिन यह सिद्धांत विवादास्पद है। हड़प्पा सभ्यता का पतन धीरे-धीरे हुआ और इसके बाद भारतीय उपमहाद्वीप में एक नई सभ्यता और संस्कृति का उदय हुआ, जिसे हम वेदिक सभ्यता के रूप में जानते हैं।

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