अमेरिका की एक संघीय अदालत ने गूगल को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने एंटीट्रस्ट (विरोधी प्रतिस्पर्धा) मामले में कहा कि गूगल ने सर्च मार्केट में एकाधिकार स्थापित करने के लिए अवैध तरीके अपनाए हैं। भारतीय मूल के जस्टिस अमित मेहता ने बताया कि गूगल ऑनलाइन सर्च मार्केट का 90% और स्मार्टफोन सर्च मार्केट का 95% हिस्सा नियंत्रित करता है।
जस्टिस मेहता ने खुलासा किया कि गूगल ने डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए 26 अरब डॉलर (करीब 2,18,196 करोड़ रुपए) खर्च किए, जिससे अन्य प्रतिस्पर्धियों के लिए बाजार में सफल होना बहुत कठिन हो गया। इसके अलावा, गूगल ने अपने एकाधिकार का फायदा उठाकर ऑनलाइन विज्ञापनों की कीमतों में मनमानी वृद्धि की है।
इस फैसले के बाद, अमरीकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने इसे महत्वपूर्ण जीत बताया। यह मामला 2020 में अमेरिका डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा दर्ज किया गया था और इसे प्रमुख टेक कंपनियों के खिलाफ एक बड़ी एंटीट्रस्ट कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। मेटा प्लेटफॉर्म, अमेजन और एप्पल के खिलाफ भी इसी तरह के मुकदमे दायर किए गए हैं। गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बनाई है।
भारत में भी गूगल पर शिकायते
भारत में भी गूगल की मुसीबतें बढ़ गई हैं। एलायंस ऑफ डिजिटल फेडरेशन (ADIF) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में गूगल के खिलाफ एंटी-कॉम्पिटीटिव प्रैक्टिस (Anti-competitive practices) के आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में गूगल के ऑनलाइन सर्च और डिस्प्ले विज्ञापनों में प्रभुत्व और उसके ‘खराब रवैये’ को निशाना बनाया गया है। फेडरेशन ने कहा कि गूगल की ये प्रथाएँ प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर रही हैं और बाजार में अन्य कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर रही हैं।