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Thursday, June 19, 2025
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बिहार बाढ़ : खड़गे ने केंद्र और राज्य सरकार से राहत और बचाव कार्यों को तेज करने की अपील की

बिहार में बाढ़ से 17 जिले प्रभावित हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र और राज्य सरकार से राहत कार्यों को तेज करने की अपील की है। जानें पूरी जानकारी।

बिहार में हालिया बाढ़ के कारण उत्पन्न स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर गहरी चिंता जताई है और केंद्र तथा राज्य सरकार से राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने की मांग की है। बिहार के 17 जिलों में करीब 14.62 लाख लोग इस बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। खड़गे ने कहा कि बाढ़ की विभीषिका के कारण कई जानें जा चुकी हैं, जो अत्यंत दुखद है।

बाढ़ की गंभीर स्थिति और प्रभावित क्षेत्र

बिहार में हर साल बाढ़ का कहर देखने को मिलता है, लेकिन इस बार की स्थिति विशेष रूप से नाजुक है। राज्य के उत्तर भाग में स्थित पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, सहरसा, कटिहार और खगड़िया जैसे जिलों में बाढ़ का पानी कहर बरपा रहा है।

इन जिलों में नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे गांवों, खेतों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हो रहा है। कई घर बह गए हैं, पुल टूट गए हैं और लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं। इस संकट की स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती समय पर राहत सामग्री पहुंचाना और लोगों को सुरक्षित निकालना है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान

मल्लिकार्जुन खड़गे ने बाढ़ की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल राहत और बचाव कार्यों में तेजी लानी चाहिए। उन्होंने कहा, “बिहार की बाढ़ की स्थिति भयंकर होती जा रही है। करीब 15 लाख लोग 17 जिलों में इस बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं और पिछले कुछ दिनों में कई लोगों की मौत की खबरें बेहद दर्दनाक हैं।”

खड़गे ने कहा कि बाढ़ के कारण पुल ढह गए हैं, घर तबाह हो गए हैं और लोग बेघर हो गए हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे राहत और बचाव कार्यों को तेज करें ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द मदद मिल सके।

राहत कार्यों की स्थिति

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, भारतीय वायु सेना (IAF) के हेलीकॉप्टरों द्वारा प्रभावित जिलों में राहत सामग्री और भोजन के पैकेटों की हवाई गिरावट की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बाढ़ पीड़ितों तक आवश्यक सामग्री पहुंचे। इसके अलावा, नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की 16 टीमें और स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) की 17 टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। लगभग 975 नावों का इस्तेमाल लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।

खड़गे ने राहत कार्यों में जुटे भारतीय वायु सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन कठिन परिस्थितियों में वे अद्वितीय सहायता प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम भारतीय वायु सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को इस कठिन समय में उनकी सहायता के लिए धन्यवाद करते हैं। लेकिन हमें अभी भी राज्य सरकार की एजेंसियों से सभी संभावित मदद की आवश्यकता है।”

किसानों और बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह प्रत्येक बाढ़ पीड़ित को पर्याप्त मुआवजा प्रदान करे। उन्होंने कहा कि इस बाढ़ ने न केवल लोगों की जान और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि किसानों की फसलें भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। खड़गे ने मांग की कि जिन किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं, उन्हें भी मुआवजा दिया जाए ताकि वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकें और भविष्य में फिर से खेती कर सकें।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी बाढ़ पीड़ितों की सेवा में तत्पर रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि वे राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लें और बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद करें।

बिहार में बाढ़ का प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ

बिहार में बाढ़ का संकट एक बड़ा मानवीय आपदा बनता जा रहा है। हर साल मानसून के दौरान बिहार में बाढ़ का प्रकोप देखा जाता है, लेकिन इस बार की स्थिति बेहद गंभीर है। नदी के जलस्तर में वृद्धि और जलनिकासी की अपर्याप्त व्यवस्थाओं के कारण यह संकट और भी जटिल हो गया है।

राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे समय पर राहत कार्यों को पूरा करें और बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाएं। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले समय में इस प्रकार की आपदाओं की संभावना और भी बढ़ सकती है।

राहत और पुनर्वास की दिशा में सरकार का कदम

केंद्र और राज्य सरकारों के पास अब यह अवसर है कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास के कार्यों को प्राथमिकता दें। इसके तहत प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण दी जानी चाहिए, उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की जानी चाहिए और उनके घरों के पुनर्निर्माण में सहायता की जानी चाहिए।

इसके अलावा, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को उचित मुआवजा मिले ताकि वे अपनी फसलों के नुकसान की भरपाई कर सकें। साथ ही, भविष्य में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए बेहतर जल प्रबंधन और बाढ़ सुरक्षा उपायों की योजना बनाई जानी चाहिए।

बिहार की बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर है और इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। मल्लिकार्जुन खड़गे की अपील न केवल राहत कार्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह सरकारों के प्रति एक जिम्मेदारी भी है कि वे इस आपदा में प्रभावित लोगों की मदद करें। आने वाले समय में सरकारों को बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए अधिक समग्र और स्थायी समाधान तलाशने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।

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