नई दिल्ली। Who is Manu Bhaker: मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। हरियाणा की 22 वर्षीय मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में तीसरा स्थान हासिल किया। वह मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन गई। भाकर का यह सफर आसान नहीं रहा है।जीत के बाद मनु बाकर ने कहा कि मैं गीता पढ़ती हूं। इससे ध्यान करने में मदद मिलती है। मैच में मैंने आखिरी तक लक्ष्य पर फोकस किया। मैं खुश हूं, लेकिन देश इससे ज्यादा डिजर्व करता है। उम्मीद है है कि बाकी इवेंट में भारत को पदक जीतने में सफलता मिलेगी।टोक्यो में दिल टूटने के बाद भारत की प्रतिभाशाली निशानेबाजों में से एक मनु भाकर ने देश को गौरव दिलाया है। शूटिंग में भारत का 12 साल का इंतजार खत्म हुआ। अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्धन सिंह राठौर, गगन नारंग और विजय कुमार के बाद मनु निशानेबाजी में ओलंपिक मेडल जीतने वाली पांचवीं शूटर बनीं।मनु भाकर का यह दूसरा ओलंपिक है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में डेब्यू किया था। 10 मीटर एयर पिस्टल क्वालिफिकेशन राउंड में उनकी पिस्टल बिगड़ गई थी। इस कारण मेडल जीतने का सपना टूट गया था। इस बार मनु भाकर ने पूरा दम दिखाया और पदक पर सटीक निशाना साधा।कई इवेंट्स में हिस्सा लेने वाली खिलाड़ी
पेरिस ओलंपिक 2024 निशानेबाजी स्पर्धा में 22 वर्षीय मनु भाकर वूमन की 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित और 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में पार्टिसिपेट कर रही हैं। वह निशानेबाजी टीम में कई स्पर्धाओं में भाग लेने वाले अकेली खिलाड़ी हैं।
मनु भाकर ने एशियन शूटिंग चैंपियनशिप 2023 में 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में पांचवें स्थान हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल किया था। वह ISSAF विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम आयु की भारतीय एथलीट हैं।मनु गोल्ड कोस्ट 2018 में महिलाओं की दस मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में कॉमनवेल्थ गेम्स की चैंपियन हैं। उन्होंने सीडब्ल्यूजी रिकॉर्ड के साथ पदक जीता था। भाकर ने ब्यूनस आयर्स 2018 में यूथ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। वह पिछले साल एशियाई खेलों में 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा की चैंपियन भी हैं।
बॉक्सिंग को छोड़ पिस्टल थामी
हरियाणा ने झज्जर की रहने वाली मनु भाकर ने स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया। इसके अलावा ‘थान टा’ मार्शल आर्ट में भी भाग लिया था। बॉक्सिंग के दौरान भाकर की आंख में जख्मी हो गई, जिसके बाद उन्होंने मुक्केबाजी को अलविदा कह दिया। मनु भाकर के अंदर खेल को लेकर प्यार था, जिसके चलते वह शूटर बनाने में सफल रहीं।