14 जनवरी का दिन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन विभिन्न देशों और संस्कृतियों में कई घटनाएँ घटित हुई हैं। यहाँ 14 जनवरी के इतिहास के बारे में जानकारी दी जा रही है:
प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएँ:
- 1761 – पानीपत की तीसरी लड़ाई: पानीपत के मैदान में मराठों और अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के बीच ऐतिहासिक लड़ाई हुई थी। इस युद्ध में मराठों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
- 1875 – अल्बर्ट श्वाइट्ज़र का जन्म: प्रसिद्ध चिकित्सक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अल्बर्ट श्वाइट्ज़र का जन्म हुआ था।
- 1911 – फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का जन्म हुआ था। वह भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल थे और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी भूमिका प्रमुख रही थी।
- 1943 – फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट अमेरिकी राष्ट्रपति बने। वे चौथी बार राष्ट्रपति बनने वाले पहले अमेरिकी थे।
- 1953 – जोसी सैमुएल जी. स्कार्फ़ एलेन मर्किन को प्वाइंट फोर कार्यक्रम के तहत त्रिनिदाद में अमेरिका द्वारा नियुक्त किया गया था।
- 1964 – महाराष्ट्र में नागपुर को राज्य की दूसरी राजधानी घोषित किया गया।
- 2011 – ट्यूनीशियाई क्रांति: इस दिन ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ज़ीन अल-अबिदीन बेन अली को देश छोड़कर भागना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप ट्यूनीशियाई क्रांति शुरू हुई।
प्रमुख त्यौहार और उत्सव:
- मकर संक्रांति: यह भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है, जो सर्दियों के अंत और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से पतंग उड़ाने और तिल-गुड़ खाने की परंपरा है।
- पोंगल: दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु में इस दिन पोंगल त्यौहार मनाया जाता है। यह एक कृषि आधारित त्यौहार है, जो फसलों की कटाई के समय भगवान सूर्य को धन्यवाद के रूप में मनाया जाता है।
विश्व भर की अन्य घटनाएँ:
- ग्रीस और साइप्रस में 14 जनवरी को “नेशनल डेल्टा सिग्मा” दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 14 जनवरी को वर्साय में जर्मनी और फ्रांस के बीच एक महत्वपूर्ण शांति वार्ता हुई थी।
महत्वपूर्ण व्यक्ति:
- महाश्वेता देवी: प्रसिद्ध भारतीय लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का जन्म भी इसी दिन हुआ था।
- ह्यूज ली: ब्रिटिश रेडियो खगोलविज्ञानी का जन्म 14 जनवरी को हुआ था।
निष्कर्ष:
14 जनवरी का दिन विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक उत्सवों से जुड़ा हुआ है। चाहे वह युद्ध हो, क्रांतियाँ हों या सांस्कृतिक परंपराएँ, इस दिन ने विश्व इतिहास और विभिन्न सभ्यताओं पर अपनी छाप छोड़ी है।