इजरायल और हमास के बीच एक अहम समझौता हुआ है, जिसमें सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले मृत बंधकों के शवों का आदान-प्रदान किया जाएगा। यह समझौता दोनों पक्षों के बीच जारी तनाव को कम करने और युद्धविराम को कुछ और दिनों तक बरकरार रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कैदियों की रिहाई में देरी से उपजा तनाव
इजरायल ने शनिवार से 600 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई में देरी की थी, क्योंकि उसने हमास द्वारा रिहा किए गए बंधकों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार पर आपत्ति जताई थी। दूसरी ओर, हमास ने इसे युद्धविराम का “गंभीर उल्लंघन” बताया और कहा कि जब तक कैदियों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक अगले चरण की बातचीत संभव नहीं होगी। इस गतिरोध ने मौजूदा छह सप्ताह के युद्धविराम को समाप्त होने की कगार पर ला दिया था।
काहिरा में हुआ अहम समझौता
मंगलवार देर रात, हमास के एक शीर्ष अधिकारी खलील अल-हय्या की अध्यक्षता में काहिरा में हुई बातचीत के बाद इस विवाद का हल निकाल लिया गया। इस समझौते के तहत चार और मृत बंधकों के शव लौटाए जाएंगे, और बदले में फिलिस्तीनी कैदियों के एक नए समूह को भी रिहा किया जाएगा।
समझौते की पुष्टि, मध्यस्थता में अमेरिका की भूमिका
एक इजरायली अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पुष्टि की कि आने वाले दिनों में मृत बंधकों के शवों को वापस लाने के लिए समझौता हो गया है। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इस समझौते से व्हाइट हाउस के मध्यपूर्व दूत स्टीव विटकॉफ की क्षेत्रीय यात्रा का रास्ता भी साफ हो सकता है। विटकॉफ का उद्देश्य दोनों पक्षों को वार्ता के दूसरे चरण में ले जाना है, जिसमें हमास के कब्जे में बचे सभी बंधकों की रिहाई और संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत की योजना शामिल है।
आगे क्या?
यह समझौता युद्धविराम को कुछ और दिनों तक बनाए रखने में मदद कर सकता है, लेकिन यह देखना होगा कि दोनों पक्ष अगले चरण की वार्ता के लिए कितने तैयार हैं। अब सारी निगाहें आने वाले दिनों पर टिकी हैं कि क्या यह समझौता व्यापक शांति की दिशा में कोई ठोस कदम साबित होगा या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी समाधान बनकर रह जाएगा।