ज़ेलेंस्की ने अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों तक पहुंच देने से किया इनकार
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है, जिसके तहत अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधनों तक सीधी पहुंच मिल सकती थी। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन की आर्थिक और सैन्य सहायता कर रहे हैं।
क्या था यह समझौता?
इस प्रस्तावित समझौते के तहत अमेरिका को यूक्रेन के महत्वपूर्ण दुर्लभ खनिजों—जैसे लिथियम, टाइटेनियम और अन्य दुर्लभ अर्थ तत्वों—की खोज और खनन करने की अनुमति मिल सकती थी। ये खनिज आधुनिक रक्षा प्रणालियों, एयरोस्पेस तकनीक और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं।
ज़ेलेंस्की ने क्यों किया इनकार?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को इस समझौते की शर्तें स्वीकार्य नहीं थीं क्योंकि यह अमेरिकी हितों को अधिक प्राथमिकता देता था और यूक्रेन की संप्रभुता व आर्थिक हितों को कमजोर कर सकता था। उन्होंने अपने मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे इस समझौते पर हस्ताक्षर न करें।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस फैसले को “अदूरदर्शी” करार दिया और कहा कि यह यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और अमेरिका-यूक्रेन साझेदारी के लिए हानिकारक हो सकता है। अमेरिका पहले ही यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता के रूप में अरबों डॉलर दे चुका है और इस समझौते को उस मदद का एक “मुआवजा” माना जा रहा था।
यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर बढ़ती वैश्विक दिलचस्पी
यूक्रेन दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडारों के लिए जाना जाता है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन इस क्षेत्र में पहले से ही एक प्रमुख खिलाड़ी है, और अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश यूक्रेन के संसाधनों तक पहुंच बनाकर चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं।
भविष्य में क्या होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि ज़ेलेंस्की का यह कदम यूक्रेन की स्वतंत्रता और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इससे अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों में कुछ तनाव आ सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश किसी नए, संतुलित समझौते पर पहुंच पाते हैं या नहीं।