शक संवत (Shaka Samvat) भारतीय कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण संवत है, जो प्राचीन भारत में स्थापित हुआ था। यह एक सौर कैलेंडर है, और इसे विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में उपयोग किया जाता है। यह संवत 78 ईस्वी में प्रारंभ हुआ था।
शक संवत का प्रारंभ:
शक संवत का आरंभ 78 ईस्वी में हुआ था, जब शक सम्राट रुड्रदामन ने भारत में एक विजय प्राप्त की थी। यह संवत भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण समय से जुड़ा हुआ है, और इसे राजा कनिष्क के समय में लोकप्रियता मिली थी।
वर्षों की गणना:
शक संवत में वर्षों की गणना सन 78 ईस्वी से शुरू होती है। इसका मतलब यह है कि 2024 में हम 1946 शक संवत में हैं। इसे भारतीय नववर्ष की शुरुआत और विभिन्न धार्मिक त्योहारों से जोड़ा गया है।
प्रमुख उपयोग:
शक संवत को मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों में, खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर भारत में सरकारी दस्तावेज़ों और आधिकारिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर भी इसी पर आधारित है।
महत्वपूर्ण दिन:
- शक नवीन वर्ष: यह हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो भारतीय कैलेंडर के अनुसार नया वर्ष होता है।
- होलिका दहन: होली का पर्व भी इस संवत के अनुसार मनाया जाता है।
सारांश:
शक संवत का आरंभ 78 ईस्वी में हुआ और यह भारतीय कैलेंडर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उपयोग विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए किया जाता है।