घग्गर नदी, जिसे कभी-कभी सरस्वती नदी भी कहा जाता है, एक प्राचीन नदी है जो भारत और पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से से बहती है। इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, और इसे कई प्राचीन ग्रंथों में संदर्भित किया गया है। इसके बारे में प्रमुख तथ्य निम्नलिखित हैं:
भौगोलिक स्थिति और मार्ग:
घग्गर नदी का उद्गम स्थल हरियाणा राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित है और यह पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में जाकर समाप्त होती है। यह नदी मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों से बहती है।
आगे पढ़ेप्राचीन इतिहास:
प्राचीन काल में इसे सरस्वती नदी के रूप में जाना जाता था, जो वेदों और पुराणों में अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है। यह नदी हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी मानी जाती थी, और इसके किनारे कई प्राचीन सभ्यताएँ बसी थीं, जैसे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता।
सिंचाई और जलवायु:
घग्गर नदी प्राचीन समय में सिंचाई का एक प्रमुख स्रोत थी। इसे पवित्र माना जाता था और इसे स्थानीय समुदायों द्वारा जल आपूर्ति और कृषि के लिए उपयोग किया जाता था।
विकृति और सूखा:
समय के साथ, घग्गर नदी की धारा में कई परिवर्तन हुए। यह नदी अब पूरी तरह से सूख चुकी है, खासकर भारत में, और यह केवल मानसून के दौरान ही थोड़ी-बहुत बहती है। इसके सूखने के कारणों में जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियाँ शामिल हैं।
आधुनिक संदर्भ:
आजकल घग्गर नदी का नाम विशेष रूप से सिंचाई परियोजनाओं और जलवायु संबंधी शोध के लिए लिया जाता है। नदी के सूखने के बाद, इसका जल स्तर काफी घट चुका है, और यह अब अधिकतर नदियों के मुकाबले एक छोटी सी नहर की तरह प्रतीत होती है।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर:
घग्गर नदी का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व अब भी बनी हुई है। कई प्राचीन स्थल, जैसे हड़प्पा सभ्यता के अवशेष, इस नदी के आसपास स्थित हैं, जो इसे एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में दर्शाते हैं।
घग्गर नदी की गाथाएँ और इतिहास हमें प्राचीन भारतीय सभ्यता और जलवायु परिवर्तन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
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