पैरालंपिक खेलों का इतिहास बहुत ही प्रेरणादायक और संघर्षपूर्ण रहा है। पैरालंपिक खेल उन एथलीटों के लिए होते हैं जो शारीरिक या मानसिक विकलांगता से ग्रस्त होते हैं। यह खेल दुनिया भर में उन लोगों के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, जो शारीरिक चुनौतियों को पार करके अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
पैरालंपिक खेलों की शुरुआत:
पैरालंपिक खेलों की शुरुआत 1948 में ब्रिटेन के स्टोक मंडविल में हुई थी, जब डॉ. लुडविग गुटमैन ने युद्ध से लौटे विकलांग सैनिकों के लिए एक खेल आयोजन किया। उन्होंने यह आयोजन एक चिकित्सा उपचार के रूप में किया, ताकि सैनिकों का पुनर्वास हो सके। बाद में इसे “स्टोक मंडविल खेल” कहा गया।
आगे पढ़ेपहले पैरालंपिक खेल:
1948 में, स्टोक मंडविल खेल को पहली बार एक अंतरराष्ट्रीय घटना के रूप में आयोजित किया गया। इसमें 16 प्रतियोगी भाग लिए थे, और यह आयोजन बहुत ही सरल था। इसके बाद, 1960 में रोम में पहली बार पैरालंपिक खेलों का आयोजन हुआ। यह ओलंपिक खेलों के साथ एक समांतर आयोजन था और इसमें 400 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया।
ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का संबंध:
पैरालंपिक खेलों का आयोजन ओलंपिक खेलों के बाद होता है। इन खेलों में वही खेल होते हैं, जो ओलंपिक में होते हैं, लेकिन विकलांग एथलीटों के लिए विशेष नियम और शारीरिक विकलांगता के अनुसार उन्हें अनुकूलित किया जाता है।
पैरालंपिक खेलों की विशेषताएँ:
- विविध खेलों का समावेश: पैरालंपिक खेलों में ऐसे खेल होते हैं जिनमें विकलांगता से ग्रस्त एथलीटों की भागीदारी होती है। इनमें एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन, और स्विमिंग जैसी प्रतियोगिताएँ शामिल होती हैं।
- कक्षा और श्रेणियाँ: खेलों में विभिन्न शारीरिक और मानसिक विकलांगता के आधार पर एथलीटों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है, जैसे कि शारीरिक विकलांगता, दृष्टिहीनता, मस्तिष्कीय विकलांगता आदि।
- प्रौद्योगिकी और सहायक उपकरण: पैरालंपिक खेलों में तकनीकी सहायता और उपकरणों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जैसे व्हीलचेयर बास्केटबॉल और पैरालंपिक स्विमिंग के लिए विशेष उपकरण बनाए जाते हैं।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
- 1980 और 1984 में शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक खेलों का आयोजन हुआ।
- 1992 बार्सिलोना पैरालंपिक्स में पहली बार विकलांग महिलाओं के लिए अधिक ध्यान दिया गया।
समकालीन पैरालंपिक खेल:
वर्तमान में, पैरालंपिक खेलों की दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण पहचान है। इन खेलों में हर चार साल में एक बार ओलंपिक खेलों के बाद आयोजन होता है। पैरालंपिक खेलों का मुख्य उद्देश्य शारीरिक और मानसिक विकलांगता के बावजूद एथलीटों के उत्साह और साहस को प्रोत्साहित करना है।
पैरालंपिक खेलों का प्रभाव:
पैरालंपिक खेल न केवल विकलांगता के बारे में जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि समाज में विकलांग व्यक्तियों के प्रति सम्मान और समानता को भी बढ़ावा देते हैं। इन खेलों के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि विकलांगता किसी की क्षमता को सीमित नहीं करती।
यह एक ऐसी पहल है, जो दुनिया भर के विकलांग व्यक्तियों को अपनी छिपी हुई क्षमताओं का प्रदर्शन करने का एक मंच प्रदान करती है।
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