दुर्ग, छत्तीसगढ़ में स्थित चंडी माता मंदिर एक प्राचीन और प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है, जो मां चंडिका को समर्पित है। यह मंदिर शिवपारा क्षेत्र में स्थित है और इसकी स्थापना कई वर्षों पूर्व हुई थी। मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान विष्णु के दशावतार का भी वर्णन मिलता है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
मां चंडिका के दर्शन के लिए भक्तगण दूर-दूर से यहां आते हैं, विशेषकर नवरात्रि के अवसर पर, जब मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और मेले का आयोजन होता है। मंदिर की वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण यह स्थल श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर के इतिहास के अनुसार, यह लगभग 150 वर्ष पुराना है और यहां की देवी प्रतिमा प्राकृतिक रूप से निर्मित है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में तेंदू के वृक्ष और पलाश के केसरिया फूल आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह स्थान पूर्व में तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध था, जहां कई साधु-संतों का डेरा होता था।
मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां भालुओं का एक परिवार नियमित रूप से आता है। शाम की आरती के समय ये भालू मंदिर में प्रवेश करते हैं, परिक्रमा करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं, फिर बिना किसी को नुकसान पहुंचाए जंगल में लौट जाते हैं। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।
मंदिर परिसर में एक बावली तालाब भी स्थित है, जिसका जल स्वच्छ और पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु यहां स्नान करके अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की कामना करते हैं।
चैत्र और क्वार नवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं। इसके अलावा, छेरछेरा पुन्नी के समय विशाल मण्डई का आयोजन, शिवरात्रि एवं हनुमान जयंती में अभिषेक पूजा आदि सम्पन्न की जाती हैं।
मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे सुविधाजनक है। दुर्ग शहर से स्थानीय परिवहन के माध्यम से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
चंडी माता मंदिर की आध्यात्मिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और अनोखी विशेषताओं के कारण यह स्थान भक्तों और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
यदि आप चंडी माता मंदिर के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो निम्नलिखित वीडियो आपकी सहायता कर सकता है।