Total Users- 698,813

spot_img

Total Users- 698,813

Saturday, April 19, 2025
spot_img

झूलेलाल जयंती पर किस देवता की होती है पूजा जानें नियम और परंपरा

सिंधी समुदाय के लोग चेटी चंड के त्योहार को भगवान झूलेलाल की जयंती के रूप में मनाते हैं. गवान झूलेलाल की जयंती के दिन से सिंधी नववर्ष शुरू हो जाता है. भगवान झूलेलाल सिंधी समाज के प्रमुख देवता माने जाते हैं.

 चेटी चंड सिंधी समुदाय का विशेष और बड़ा ही पावन त्योहार है. इस त्योहार चैत्र महीने की चंद्र तिथि को मनाया जाता है. इस त्योहार को भगवान झूलेलालके जन्मोत्सव मनाया जाता है. भगवान झूलेलाल वरुण देव का अवतार माने जाते हैं. भगवान झूलेलाल सिंधी समाज के प्रमुख देवता कहे जाते हैं. भगवान झूलेलाल की जयंती के दिन से सिंधी नववर्ष की भी शुरुआत मानी जाती है. ये त्योहार सत्य, अहिंसा, भाईचारे और प्रेम का संदेश देता है.

सिंधी समाज भगवान झूलेलाल की जयंती को बड़ी धूमधाम से मनाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान झूलेलाल की पूजा जी जाती है, तो चलिए जानते हैं कि साल 2025 में भगवान झूलेलाल कब मनाई जाएगी. पूजा का नियम और परंपरा क्या है.

झूलेलाल जयंती कब और क्या है पूजा शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आज शाम 4 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है. इस तिथि का समापन कल दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में चेटी चंड यानी झूलेलाल जयंती कल 30 मार्च को मनाई जाने वाली है. वहीं कल चेटी चंड पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो जाएगा. ये मुहूर्त शाम 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.

कौन हैं भगवान झूलेलाल?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सिंध क्षेत्र में मिरखशाह नामक शासक के जबरन धर्म परिवर्तन का आदेश देने के बाद सिंधियों ने नदी देवता से प्रार्थना की और उनका पूजा करने लगे. चालीस दिनों बाद नदी से एक देवता एक देवता प्रकट हुए और लोगों को उनकी रक्षा का वचन दिया. फिर जल के देवता ने सिंधी लोगों की उस शासक से रक्षा की. जल देवता होने की वजह से ही भगवान झूलेलाल वरुण देव के अवतार माने जाते हैं. झूलेलाल जयंती के दिन सिंधी विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है.

पूजा नियम

  • चेटी चंड के दिन दिन सिंधी समुदाय के लोग लकड़ी का मंदिर बनाते हैं. इसे बहिराणा साहब भी कहते हैं.
  • फिर मंदिर में एक लोटे से जल रखते हैं और ज्योति जलाते हैं.
  • सिंधी समुदाय के लोग पवित्र जल की पूजा करते हैं.
  • इस दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं.
  • लोग भगवान झूलेलाल के भजन और कीर्तन गाते हैं.

त्योहार की क्या है परंपरा

बताया जाता है कि प्राचीन समय में सिंधी समाज के लोगों को कारोबार के लिए जलमार्ग से यात्रा करनी पड़ती थी. उनकी यात्रा सफल रहे, इसलिए सिंधी समाज के लोग जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे. यही नहीं यात्रा के सफल हो जाने के बाद सिंधी समाज के लोग जल देवता झूलेलाल के प्रति आभार जताते थे. सिंधी समाज आज भी इस पंरपरा का निर्वाहन करता है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए सिंधी लोग चेटीचंड का त्योहार मनाते हैं.

spot_img

More Topics

खाली पेट इन चीजों का सेवन करने से डायबिटीज होगा कंट्रोल

डायबिटीज एक लाइफ स्टाइल डिज़ीज है। यह बीमारी खराब...

100 साल वापस लौटा विलुप्त हिमालयी मखमली कीड़ा

एक ऐसी दुनिया में जहाँ मनुष्य का वर्चस्व है,...

अथिया और राहुल ने दिखाई अपनी बेटी की पहली झलक, रिवील किया नाम

इंडियन क्रिकेटर केएल राहुल का आज जन्मदिन है। ऐसे...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े