सफाई कर्मियों को कब मिलेगा उनका श्रमिक अधिकार ?
सफाई ठेकेदार को निगम प्रशासन कब तक देगा संरक्षण ?
सफाई व्यवस्था में हो रहीं अनियमितताओं को प्रश्नांकित कौन करेगा ?
पूरब टाइम्स , भिलाई . नगरीय निकाय द्वारा दी जाने वाले सुविधाओं में से एक प्रमुख सुविधा है , आम नागरिकों को सफाई की सुविधा . इसमें ना केवल घर घर से कचरा कलेक्शन है बल्कि सार्वजनिक स्थानों व नालियों की सफाई भी है. इसके अलावा कचरे का पृथकीकरण इत्यादि अनेक काम सफाई करमी करते हैं. निगम की व्यव्स्था के अनुसार इनमे से कुछ सफाई कर्मी निगम के कर्मचारी होते हैं पर आजकल ज़्यादातर सफाई कर्मचारी ठेका अनुबंध एजेंसीज़ को दिये जाते हैं. सफाई एक ऐसा काम है जोकि दिन रात चलता रहता है. उस कार्य के लिये खर्च, हाजरी के संयोजन में अनेक जगह धान्धलियां होती हैं क्योंकि उस सफाई कार्य में नियोजित श्रमिकों का दैनिक विवरण सर्व साधारण की जानकारी में नहीं लाया जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले दिन में लगाये गये किसी भी लेबर का भौतिक सत्यापन अगले दिन नहीं किया जा सकता है . अनेक बार, अनेक नगरीय निकाय में यह पकड़ में आता है कि कोई काम ना करने वाले श्रमिक के नाम से वेतन निकाल लिया जाता है और अनेक जगह वेतन बैंक में ज़्यादा जमा करा, उसका एक हिस्सा ठेकेदार द्वारा वापस ले लिया जाता है. भिलाई और रिसाली निगम में भी सर्वजनिक पार्दर्शिता नहीं रहने के कारण इस तरह के भ्रष्टाचार की संभावना है. सूत्रों के अनुसार ऐसे भ्रष्टाचार में राजनेता, अधिकारी व ठेकेदार , तीनों की मिलीभगत होती है. पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट …
भिलाई और रिसाली के निगम आयुक्तों ने क्या प्रशासकीय उपेक्षा का शिकार बनाकर सफाई कर्मियों का असहयोग करने की कार्य योजना बनाई है?
अत्यंत पीड़ादायक मामला है कि, छत्तीसगढ़ में शिक्षा की राजधानी कहे जाने वाले भिलाई और रिसाली निगम क्षेत्र में सफाई कर्मियों के श्रमिक अधिकार पर अतिक्रमण करने का अशोभनीय अवसर निगम आयुक्तों के गैर जिम्मेदाराना कार्य व्यवहार के कारण फल फूल रहा है. गौर तलब रहे कि निगम आयुक्तों ने सफाई कार्य में नियोजित श्रमिकों का दैनिक विवरण सर्व साधारण की जानकारी में नहीं लाने का मन बना लिया है और प्रश्नांकित करने वाला कार्य व्यवहार करके अनियमित सफाई ठेकेदारों को अवैधानिक संरक्षण देने की कार्य पद्धति का प्रदर्शन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है शिक्षा क्षेत्र में प्रदेश में अग्रणी स्थान रखने वाले भिलाई और रिसाली निगम द्वारा सफाई कर्मियों के साथ इस तरह का अनपेक्षित असहयोगपूर्ण एवं विधि विरुद्ध कार्य व्यवहार किया जाना अशिक्षित सामाजिक व्यवस्था की कार्य प्रवृत्ति का परिचय दे रहा है जो कि जिला प्रशासन द्वारा संज्ञान लिए जाने का विषय है ।
निगम स्वास्थ्य अधिकारी रिसाली और भिलाई निगम के सफाई कर्मियों को परेशान करने के लिए क्या श्रम कानून को ठेंगा दिखाना चाहते है ?
हमारे शासन व्यवस्था ने सफाई कर्मियों को विकसित समाज की मुख्य धारा के साथ जोड़ने के लिए बहुत सी योजनाएं बनाई है और इन योजनाओं को नगरीय निकायों के प्रशासन के माध्यम से सफाई कर्मियों तक पहुंचने की व्यवस्था की गई है लेकिन भिलाई और रिसाली निगम के स्वास्थ्य अधिकारी सफ़ाई कर्मियों के सर्वांगीण विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं को निगम फाइलों में दफ्न कर सफाई ठेकेदार पर विशेष मेहरबानी वाली कार्य प्रणाली से कार्य करते नजर आ रहें है जो कि सभ्य सामाजिक व्यवस्था को दागदार करने वाली प्रशासकीय स्थिति है जिस पर निगम आयुक्त की खामोशी और निगम महापौर द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाना अशोभनीय कार्य व्यवहार है
सफाई ठेका अनुबंध शर्तों के विपरीत कार्य करते निगम के स्वास्थ्य विभाग को भिलाई और रिसाली के महापौर संरक्षण क्यों दे रहे है ?
सफाई कर्मियों के द्वारा विगत वर्षों से अपनी समस्याओं को रिसाली और भिलाई निगम प्रशासन के साथ – साथ जिला प्रशासन को बताया जा रहा है लेकिन इन शिकायत याचिकाओं पर सुनवाई करने की प्रक्रिया हमेशा प्रश्नांकित स्थिति में रही है । उल्लेखनीय है कि इस मामले में सफाई ठेकेदारों द्वारा पीड़ित सफाई कर्मियों पर विधि विरुद्ध नियंत्रण स्थापित कर लिया जाता है क्योंकि की सफाई कर्मियों को नियोजित किए जाने का प्रमाण् अर्थात हजारी रजिस्टर सर्व साधारण की पहुंच से दूर है और ऐसी स्थिति में ठेकेदार अधिक सशक्त हो जाता है इसलिए अपेक्षित है कि सफाई कर्मियों के दैनिक हजारी रजिस्टर तक सार्वजनिक पहुंच स्थापित की जाय ।
रिसाली और भिलाई निगम के स्वास्थ्य विभाग को सफाई कर्मियों के श्रमिक अधिकार पर अतिक्रमण करने का अवसर इसलिए मिल रहा है क्योंकि सफाई ठेकदार रोजाना का श्रमिक रिकॉड विवरण रजिस्टर और नियोजित श्रमिकों का अधिकृत प्रमाणित विवरण दस्तावेज सार्वजनिक नहीं कर रहा है इसलिए इस महत्वपूर्ण जानकारी तक सर्व साधारण की पहुंच बनाए जाने के विधि निर्देश को वास्तविक कार्यान्वयन स्थिति में लाने की पहल कर रहा हूं. जिससे कि सफाई कर्मियों की समस्याओं का स्थाई व्यवहारिक निराकरण व्यवस्था विधि निर्देशानुसार स्थापित हो सके ।
अमोल मालूसरे,सामाजिक कार्यकर्ता