यह घटना पत्रकारिता और समाज के लिए एक गहरा झटका है। मुकेश चंद्राकर, जो नक्सल मामलों और ग्रामीण पत्रकारिता के विशेषज्ञ थे, उनकी नृशंस हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं
हत्या और शव की बरामदगी
मुकेश चंद्राकर का शव कांग्रेसी नेता सुरेश चंद्राकर के कंस्ट्रक्शन कंपनी परिसर में स्थित सेप्टिक टैंक से मिला। शव पर धारदार हथियार से वार और गंभीर चोटों के निशान मिले हैं, जो हत्या की योजना और क्रूरता को दर्शाते हैं।
संदेह और जांच
सुरेश चंद्राकर और उनके छोटे भाई रीतेश चंद्राकर इस हत्या के संदिग्ध हैं। मुकेश के मोबाइल की अंतिम लोकेशन सुरेश के परिसर में पाई गई। सुरेश फिलहाल फरार है, जबकि रीतेश को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है।
Motive (मंशा)
मुकेश ने सुरेश द्वारा बनाए गए गंगालूर रोड में भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जिसके बाद प्रशासन ने सड़क की जांच शुरू की। यह विवाद दोनों के बीच तनाव का कारण माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री ने घटना पर शोक जताते हुए अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
समाज और पत्रकारों की प्रतिक्रिया
बीजापुर के पत्रकारों ने घटना के विरोध में बंद और सांकेतिक चक्काजाम का आव्हान किया है।
यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था के लिए एक चुनौती है, बल्कि पत्रकारिता के स्वतंत्र और निर्भीक स्वर को दबाने की कोशिश का भी प्रतीक है। अब सभी की निगाहें प्रशासन पर हैं कि वह अपराधियों को कब और कैसे सजा दिलाता है।