छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में सरगुजा जिले के महामाया पहाड़ पर अवैध अतिक्रमण हटाने की प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर चल रही राजनीति और विवाद के बारे में है। यहां पर प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाने की कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें नवागढ़ इलाके के करीब 60 घरों को निशाना बनाया गया था। यह कदम यह संकेत देता है कि प्रशासन अब महामाया पहाड़ को अतिक्रमण से मुक्त करना चाहता है।
इस कार्रवाई को लेकर राजनैतिक बयानों का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई केवल एक विशेष समुदाय के खिलाफ की जा रही है। कांग्रेस का दावा है कि जिन लोगों के घरों पर बुलडोजर चला गया, वे पिछले 20 सालों से यहां निवास कर रहे थे और इनका कोई संबंध अवैध अतिक्रमण से नहीं था। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि यदि बांग्लादेशी घुसपैठ की बात सही है, तो यह घुसपैठ कैसे हुआ और कांग्रेस के समय में भाजपा की सरकारों ने इसका समाधान क्यों नहीं निकाला?
आगे पढ़ेवहीं, भाजपा नेता और राज्य के मंत्री ओपी चौधरी ने ट्वीट करके इस आरोप का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अवैध अतिक्रमण को हटाते वक्त कुछ लोग बांग्ला भाषा बोल रहे थे, जिसका इशारा उन्होंने बांग्लादेशी नागरिकों की ओर किया। ओपी चौधरी ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार महामाया पहाड़ को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए लगातार कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विशेष समुदाय के लोगों को यहां बसाने में स्थानीय कांग्रेसी नेताओं का हाथ हो सकता है, और इसे लेकर जांच की मांग की।
कांग्रेस ने भाजपा के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि यह कार्रवाई धर्म विशेष को निशाना बनाने की साजिश है। कांग्रेस के नेता सफी अहमद ने कहा कि इस तरह के आरोपों के कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं, क्योंकि पहले भी यहां रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में जांच की गई थी, लेकिन कुछ भी साबित नहीं हुआ था। कांग्रेस ने यह भी कहा कि किसी विशेष धर्म के लोगों को टारगेट करने से यह विवाद और बढ़ेगा।
इस पूरे विवाद में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि प्रशासन की कार्रवाई पूरी निष्पक्ष और समान रूप से की जानी चाहिए, ताकि सभी धर्मों और समुदायों के खिलाफ समान रूप से कार्रवाई हो सके। इसके साथ ही, अगर बांग्लादेशी घुसपैठ की आशंका सही है, तो इसके खिलाफ भी तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए और जिम्मेदार लोगों पर जांच और कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।
इस प्रकार, अतिक्रमण मुक्त करने की प्रशासनिक कार्रवाई न केवल एक स्थानीय मुद्दा बन चुकी है, बल्कि यह राजनीतिक और धार्मिक विवादों का कारण भी बन गई है।
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