महासमुंद, छत्तीसगढ़ – महासमुंद जिले के बागबाहरा वन परिक्षेत्र में एक बेहद दर्दनाक और चिंताजनक घटना सामने आई है। खल्लारी सर्किल के कक्ष क्रमांक 182 में अज्ञात शिकारियों द्वारा बिछाए गए बिजली के जाल में फंसकर एक नर तेंदुए और एक नर गौर की मौत हो गई।
यह घटना सोमवार सुबह उस समय उजागर हुई जब वन विभाग के कर्मचारियों ने मुनारा सर्वे के दौरान दोनों वन्य प्राणियों के शव जंगल में देखे।
शिकार का खौफनाक तरीका
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिकारियों ने खल्लारी पहाड़ी के नीचे जंगल में हाई टेंशन बिजली पोल से करीब 400 मीटर लंबा बिजली का तार फैलाया था। इस घातक जाल में पहले तेंदुआ और फिर कुछ ही दूरी पर विशालकाय गौर करंट की चपेट में आ गए। घटना को अंजाम देने के बाद शिकारी बिजली का तार और अन्य उपकरण मौके से हटा कर फरार हो गए।
तेंदुए और गौर की दर्दनाक मौत
- मृत नर तेंदुए की आयु लगभग 5 से 6 वर्ष, लंबाई 6 फीट 3 इंच और ऊंचाई 70 सेमी आंकी गई है। तेंदुए के पैरों में करंट लगने के स्पष्ट निशान पाए गए हैं।
- तेंदुए के शव से लगभग 50 मीटर दूर, एक 7 वर्षीय नर गौर, जिसकी लंबाई 9 फीट 6 इंच और ऊंचाई 5 फीट 3 इंच थी, उसकी भी करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई।
वन विभाग की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
घटनास्थल पर पहुंचकर वन विभाग के अधिकारियों ने पंचनामा तैयार किया और दोनों प्राणियों के शवों का पोस्टमार्टम करवा कर दाह संस्कार की प्रक्रिया शुरू की। अधिकारियों का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से एक सुनियोजित शिकार की घटना है, जिसकी जांच तेजी से की जा रही है।
पिछली घटनाएं और बढ़ती चिंता
यह पहली घटना नहीं है जब करंट से तेंदुए की मौत हुई हो। इससे पहले पैकिन जंगल में भी तेंदुए की लाश मिली थी, जिसकी मौत की आशंका भी करंट से जताई गई थी। उस मामले में बीटगार्ड को सस्पेंड किया गया था।
क्या कहता है यह हादसा?
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि शिकारियों के हौसले कितने बुलंद हैं और हमारे वन्य जीवों की सुरक्षा कितनी असुरक्षित। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं न केवल जैव विविधता के लिए खतरा हैं, बल्कि यह जंगल की शांति और पारिस्थितिकी तंत्र को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
न्याय और संरक्षण की मांग:
प्राकृतिक विरासत की रक्षा के लिए ज़रूरी है कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच हो, दोषियों को कड़ी सजा मिले, और वन विभाग की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत किया जाए।