क्या प्रदेश में केवल अंबिकापुर में एक ठेकेदार को काम खत्म होने के पहले अमानत राशि का सीडीआर वापस किया गया ?
क्या तथाकथित कार्यपालन यंत्री ने अन्य ठेकेदारों को भी यह सुविधा दी थी इसकी जांच कौन करेगा ?
क्या इस तरह के करोड़ों रुपये के सीडीआर को लौटाने में संभागीय लेखाकार एकाउंट सेक्शन , ऑडिट सेक्शन की कोई भूमिका नहीं थी ?
पूरब टाइम्स , रायपुर . पिछले दिनों में ठेकेदार मेसर्स खलतकर कन्ट्रक्शन अ-वर्ग ठेकेदार नागपुर को अविधिक ढंग से, उनके ठेके के लिये जमा दो करोड़ तिरानबे लाख नब्बे हजार रूपये की सुरक्षा निधि राशि , कार्य समाप्त होने के पूर्व अम्बिकापुर के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री द्वारा वापस कर दी गई थी . इस पर शिकायतों को संज्ञानलेकर शासनादेशित पत्र के परिपालन में विजय जामनिक, तत्कालिन कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग जशपुर (छ.ग.) पर अपराध कायम कर जांच कार्यवाही शुरू की गई . इस कार्यवाही के बाद विभाग में हड़कम्प मच गया, सूत्रों के अनुसार इसका मुख्य कारण यह था कि विभाग के अनेक संभागों में कार्यपालन यंत्रियों द्वारा ठेकेदारों को इसी प्रकार से उपकृत किया गया था . इस मामले में एक कार्यपालन यंत्री पर एफआईआर करा विभाग ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया क्योंकि इसकी आंच में अनेक अधिकारियों व ठेकेदारों का फंसना तय था . मामले की गम्भीरता को संज्ञान में लेते हुए कुछ समाज सेवियों के साथ मिलकर पूरब टाइम्स ने भी जानकारियां इकट्ठी करनी शुरू कर दी हैं . जिसकी शुरुआत जल संसाधन के वृत्त दुर्ग, जिसके मातहत अनेक कार्यपालन यंत्री आते हैं , से कर दी है . सूचना यह भी मिली है कि इस वृत्त के अनेक कार्यपालन यंत्री , प्रोजेक्ट को शुरू किये जाने के पूर्व उस प्रोजेक्ट के परिणाम को ध्यान में रखकर बनाये गये शासकीय प्रतिवेदन को ताक में रखकर , करोड़ों रुपये खर्च कर चुके हैं और अभी भी कर रहे हैं . हालात ये हैं कि अपने उच्चाधिकारी की शह पर वे आम नागरिक के हित के लिये की जाने वाली पारदर्शिता पर भी काला पर्दा डाल रहे हैं . उस मामले पर भी , दोषियों को दंडित करवाने विधिक सलाह ली जा रही है . पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट ..
क्या कार्य समाप्ति के पूर्व , सुरक्षा निधि निकालने देने के लिये केवल कार्यपालन यंत्री ज़िम्मेदार है ?
शासन की ओर से थाना सिटी कोतवाली, जशपुर नगर जिला-जशपुर (छ.ग.) में FIR दर्ज करवाने वाला शिकायतकर्ता विनोद भगत निवासी वार्ड क्रमांक 13 बगीचा थाना बगीचा का रहने वाला है जो कि वर्तमान में जल संसाधन संभाग जशपुर में कार्यपालन अभियंता के पद पर दिनांक 03/10/2024 से पदस्थ है। शिकायत कर्ता की शिकायत पर उस संभाग के पूर्व कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक के ऊपर एफआईआर दर्ज हो गई .अब समझने वाली बात यह है कि क्या ठेकेदार मेसर्स खलतकर कन्ट्रक्शन अ-वर्ग ठेकेदार नागपुर का इस अनुचित लाभ लेने में कोई भूमिका नहीं थी ? दो करोड़ तिरानबे लाख नब्बे हजार रूपये की सुरक्षा निधि राशि इतनी छोटी नहीं थी कि इसको वापस करने के लिये किसी भी प्रकार की विभागीय लिखा-पढ़ी या एकाउंटेट की सहमति नहीं ले गई होगी . सूत्रों के अनुसार केवल एक कार्यपालन यंत्री को बली का बकरा बनाकर , अनेक उच्चाधिकारी अपनी गिरेबान बचा रहे हैं . छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता के पास लिखित में जानकारी होने के बावजूद , ठेकेदार पर कार्यवाही की अनुशंसा नहीं किया जाना , किसी बड़ी साज़िश की तरफ इशारा कर रहा है . जिसकी परतें समय के साथ अवश्य खुलेंगी .
क्या प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंताओं ने अपने अपनी ज़िम्मेदारी के कार्यक्षेत्र में इस तरह की गम्भीर शिकायतों को संज्ञान लेकर जांच करवाई ?
ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी उच्चाधिकारी ने अपनी ज़िम्मेदारी का पूर्णतः परिपालन नहीं किया है . बताया जा रहा है कि ऐसे ही एक मामले में विभाग के प्रमुख अभियंता समेत अनेक उच्चाधिकारियों की लोकायुक्त में भी शिकायत दर्ज हो चुकी है . विभाग के एक कर्मचारी ने अपना नाम ना बताते हुए यह बताया कि इस मामले में ठेकेदार पर एफआईआर ना होने का कारण उसका रसूखदार होना है . इसके साथ ही इस मामले में दबाव व पैसों के लेन देन की भी पूरी संभावना है . कुछ समाज सेवियों ने दुर्ग वृत्त के अनेक संभागों में सूचना के अधिकार के तहत अनेक जानकारियां मांगीं है . जानकारी के अनुसार कुछ कार्यपालन यंत्री पूरी सूचना नहीं दे रहे हैं और कुछ सूचना का अभाव बता कर अपने कंधे झटक ले रहे हैं . अब यह समय ही बतायेगा कि अविधिक कार्याचरण वालों को कोई भी कब तक बचा पाता है या अपनी जान बचाने के लिये उसको फंसने के लिये छोड़ देता है .
क्या अभियंता विजय जामनिक व ठेकेदार खलतकर के अन्य कार्यों की जांच कराना आवश्यक नहीं था ?
विभाग के ही कुछ ईमनदार लोगों का कहना है कि यदि बड़े ठेकों में सुरक्षा निधि की गहनता से जांच कराई जाती तो अनेक बड़े ठेकेदार व रसूख रखने वाले अधिकारियों के फंसने की संभावना है . यह भी जांच का विषय है कि अभियंता विजय जामनिक व ठेकेदार खलतकर के अन्य कार्यों की जांच क्यों नहीं कराई गई ? अब तो दबी ज़ुबान से अनेक ठेकेदार बता रहे हैं कि सुरक्षा निधि की बड़ी रकम सीडीआर जमा कराते वक़्त , उसका संबंधित बैंक से वेरिफिकेशन भी कराया जाना चाहिये क्योंकि उसमें भी तरह तरह के खेल हुए हैं . जांच से अनेक बड़े ठेकेदारों व अधिकारियों पर कानून का शिकंजा कस सकता है .
इस एफआईआर मामले में हमने पूरी तरह से विधिक कार्यवाही नहीं करने के लिये विभाग के सचिव समेत अनेक उच्चाधिकारियों को नोटिस दिया है . उनकी तरफ से इस कार्य सहित अन्य कामों में जांच इत्यादि कार्यवाही अभी तक नहीं किया जाना , संदेह को जन्म देता है , अवश्यकता हुई तो हम कानूनी रूप से आगे बढ़ेंगे .
अमोल मालुसरे , समाज सेवक