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Saturday, February 15, 2025
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छ.ग. सिंचाई विभाग का प्रमुख अभियंता… गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों का संरक्षण क्यों करता है ?

पूरब टाइम्स , रायपुर .इन दिनों छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग की गड़बड़ियां छन छन कर सतह पर आ रही हैं. अनेक ठेकेदारों व विभाग के अधिकारियों के द्वारा किये गये अविधिक कार्यों के बारे में जानकारियां अखबारों व अन्य माध्यमों से आम जनता की जानकारी में आ रहे हैं . अनेक समाज सेवक व संगठन , शिकायतों व नोटिसों के माध्यम से छ.ग. शासन के मंत्री व उच्चाधिकारियों की जानकारी में उन गड़बड़ियों को ला रहे हैं जिन्हें वे जांच व कार्यवाहियों के लिये विभाग के प्रमुख यानि प्रमुख अभियंता , जल संसाधन विभाग आई जे उइके के पास भेजा रहे है परंतु ऐसा लगता है कि उन पत्रों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है . इससे व्यथित होकर कुछ विसिल ब्लोवर ने सीधे नोटिस देकर भी प्रमुख अभियंता को सवालों के घेरे में लिया है परंतु अभी तक वे सवाल अनुत्तरित हैं. कुछ समाजसेवियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा लगता है कि यदि प्रमुख अभियंता ने अनियमितताओं के मामलों में उचित जवाब व कार्यवाही नहीं की तो विभागीय मंत्री से विधिक रूप से जवाब मांग कर , विभागीय अधिकारियों पर कार्यवाही के लिये उन्हें अग्रेषित होना पड़ेगा .

फाइलों में दबाया गया है , जल संसाधन विभाग के घपलों का पुलिंदा , इन गंभीर आरोपों में कितनी सच्चाई इसका पता लगाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालुसरे ने प्रमुख अभियंता को नोटिस देकर लिखित में कई बड़े मामलों का प्रशासकीय हाल चाल पूछ लिया है लेकिन इन नोटिस विषयों पर प्रमुख अभियंता ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं देकर जल संसाधन विभाग के कार्य व्यवहार के विरुद्ध लगाने वाले आरोपों को मान्य धरातल दे दिया है और प्रमुख अभियंता के कार्य व्यवहार को प्रश्नांकित करने का विधिक आधार भी स्थापित कर दिया है । उल्लेखनीय हैं कि, जन सामान्य की नोटिस पर प्रमुख अभियान की चुप्पी बड़ी वित्तीय गड़बड़ियों की तरफ इशारा कर रहीं है । इसलिए अमोल मालुसरे की नोटिस पर प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग की प्रतिक्रिया का सभी को इंतजार है लेकिन जब तक प्रमुख अभियंता की जन सामान्य की नोटिस पर लिखित प्रतिक्रिया नहीं आयेगी तब तक छत्तीसगढ़ शासन की प्रशासकीय छवि धूमिल होगी यह भी तय बात है ।

यह सर्व विहित है कि, किसी भी बड़े शासकीय कार्यालयों के भ्रष्टाचार को कारीत करने में उस  विभाग का प्रशासनिक अमला ही सीधे तौर पर जिम्मेदार होता है क्योंकि प्रशासनिक अमला ही विभागीय स्तर पर लिए जाने वाले वित्तीय  निर्णयों और  वित्तीय खरीदी बिक्री के व्यवहार को कार्यान्वित करने के लिए जिम्मेदार होता है . उल्लेखनीय है कि सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालुसरे ने जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभियंता कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस का उत्तरवादी पक्ष बनाकर उनसे ही सिंचाई विभाग द्वारा करवाए जा रहे ठेका अनुबंध के अनुपालन की वस्तुस्थिति जानने के लिए प्रश्नांकित किया है लेकिन समाचार लिखे जाने कर प्रमुख अभियंता कार्यालय के किसी भी उत्तरवादी अधिकारियों ने प्रतिक्रिया नही की है । जिससे यह स्पष्ट है कि मामले में कहीं न कहीं गड़बड़ी है और जिसकी पहचान सिंचाई विभाग के सचिव स्तर से किया जाना चाहिए।


छत्तीसगढ़ का जल संसाधन विभाग बड़े बजट वाले निर्माण कार्यों को करने का ठेके दे रहा है लेकिन इन ठेका कार्यों की दस्तावेजिक स्थिति प्रथम दृष्टांत पारदर्शिता के अभाव में नियमित नहीं लगती है क्योंकि सिंचाई विभाग ने ऐसे कई निर्माण कार्य जो ठेका अनुबंध शर्तों अनुसार संचालित नहीं है , उन्हें अनदेखा कर रखा है और ठेकेदारों को अनुबंधित शर्तों की खुल्लम खुल्ला अवमानना करने पर भी ठेकदारों को संरक्षण देता प्रतीत हो रहा है . इसलिए भ्रष्टाचार बे-रोकटोक फलफूल रहा है, यह कहे जाने पर दो मत नहीं होना चाहिए. इस विषय में प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ को सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालुसरे ने लिखित में अवगत करवाकर सभी संदेहास्पद पहलुओं को सिंचाई विभाग के शीर्ष अधिकारियों के संज्ञान में लाया जा रहा है इसलिए अब आने वाला समय बतायेगा कि सिंचाई विभाग में विशेषकर प्रमुख अभियंता कार्यालय के गड़बड़ी पूर्ण कार्य व्यवहार में कितनी पदेन जिम्मेदारी पूर्ण कार्य पद्धति कार्यान्वित होती नजर आयेगी।

हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकसेवक को किसी भी विधिक कार्यवाही में सीधे उत्तरवादी पक्षकार बनाने के लिए विधि निर्देशित कार्यवाही प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है इसलिए सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता की जवाबदेही सुनिश्चित करवाने वाले विषयों पर सूचना नोटिस द्वारा विधिवत संज्ञान करवाया गया है जिस पर प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण वर्तमान में दुविधापूर्ण स्थिति बनी हुई है लेकिन मेरी विधिक समझ अनुसार सिंचाई विभाग के अधिकारियों का प्रतिक्रिया विहिन रहने पर विधि अपेक्षित 6 महा की अवधि पूरी होते ही न्यायालयीन परिवाद में सीधे उत्तरवादी पक्षकार बनाया जाना संभव हो सकेगा इसलिए अभी स्मरण सूचना नोटिस देकर कार्यवाही प्रक्रिया को पूरी की जा रही है जिसके बाद भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को स्पष्ट करना आसान हो जायेगा।

अमोल मालूसरे,सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजनैतिक विश्लेषक

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