छत्तीसगढ़ में इस समय सरकार के पास जरूरत से अधिक 35 लाख मीट्रिक टन धान मौजूद है, जिसे खुले बाजार में नीलामी के जरिए बेचने की योजना बनाई जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, धान नीलामी से पहले राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक 22 फरवरी को होगी, जिसमें नीलामी की मात्रा तय की जाएगी।
केंद्र से चावल कोटा बढ़ाने की मांग
राज्य सरकार ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह पहले से तय मात्रा से अधिक चावल ले, जिससे नीलामी की जरूरत कम हो सके। वर्तमान में केंद्र सरकार ने 70 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल के लिए और 14.30 लाख मीट्रिक टन चावल राज्य पूल के लिए स्वीकृत किया है। यदि केंद्र अनुमति देता है, तो नीलामी की मात्रा घट सकती है।
नीलामी प्रक्रिया की तैयारी में सरकार
मार्कफेड के एमडी रमेश शर्मा के अनुसार, धान नीलामी के लिए टेंडर जारी किया जाएगा, और उपयुक्त प्लेटफॉर्म का चयन किया जा रहा है। फिलहाल, 35 लाख मीट्रिक टन धान को खुले बाजार में बेचने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन केंद्र से अतिरिक्त खरीद की अनुमति मिलने पर यह मात्रा कम भी हो सकती है।
खरीफ सीजन 2024-25 में रिकॉर्ड धान खरीदी
इस बार छत्तीसगढ़ में सरकार ने कुल 149.24 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा है, जिसमें से 26.20 लाख मीट्रिक टन अभी भी खरीद केंद्रों में रखा है। तेजी से कस्टम मिलिंग और संग्रहण का कार्य जारी है, और इसी प्रक्रिया के बाद लगभग 35 लाख मीट्रिक टन धान एक्सेस में आ रहा है।
कैबिनेट बैठक में होगा अंतिम निर्णय
22 फरवरी को होने वाली राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह तय किया जाएगा कि कितनी मात्रा में धान नीलामी के जरिए बेचा जाएगा। यदि केंद्र सरकार से चावल की अतिरिक्त खरीद की अनुमति नहीं मिलती, तो सरकार जल्द ही टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर नीलामी शुरू करेगी।
आगे देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे पर क्या सहमति बनती है और क्या छत्तीसगढ़ में धान नीलामी की प्रक्रिया को जल्द ही हरी झंडी मिलती है!
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